रायपुर 11 मई 2025। छत्तीसगढ़ में लंबे समय से शिक्षक भर्ती की राह देख रहे प्रशिक्षित D.Ed. और B.Ed. अभ्यर्थियों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। रायपुर में संघ के बैनर तले बड़ी संख्या में प्रशिक्षित अभ्यर्थी एकजुट होकर सड़कों पर उतर आए। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि 1 जून तक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की गई, तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन की राह अपनाएंगे।
संघ की ओर से जारी बयान में बताया गया कि यह प्रदर्शन प्रदेश सरकार द्वारा किए गए वादों के बार-बार टूटने के विरोध में हो रहा है। प्रदर्शनकारी 33 हजार रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू करने और भर्ती का नोटिफिकेशन जारी करने की मांग कर रहे हैं।
घोषणापत्र में किया वादा, लेकिन अब तक नहीं हुई कार्रवाई
प्रशिक्षित D.Ed. और B.Ed. संघ के नेताओं ने याद दिलाया कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार ने अपने घोषणापत्र में 57 हजार शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था, लेकिन आज तक न तो वैकेंसी निकली और न ही कोई प्रक्रिया शुरू हुई।
संघ के पदाधिकारियों ने कहा,
“हमने कई बार शांतिपूर्ण ढंग से सरकार तक अपनी मांगें पहुंचाई हैं। कई महीने आंदोलन कर चुके हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिला। अब आर-पार की लड़ाई होगी।”
संघ की 9 सूत्रीय प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
33,000 रिक्त पदों पर शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया तत्काल शुरू की जाए
भर्ती के लिए आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी किया जाए
नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए
पूर्व प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमे वापस लिए जाएं
अनावश्यक उम्र सीमा प्रतिबंधों को हटाया जाए
डी.एड./बी.एड. प्रशिक्षणधारी अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाए
नियमित चयन वर्ष तय किया जाए
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया को सरल किया जाए
भर्ती परीक्षाओं की समयसीमा निश्चित की जाए
राजधानी रायपुर में तेज हो रहा जनदबाव
प्रदर्शन स्थल पर मौजूद अभ्यर्थियों ने प्लेकार्ड और बैनरों के साथ नारेबाजी की। कई महिला अभ्यर्थियों ने कहा कि बरसों से तैयारी कर रहे हैं, उम्र निकल रही है, लेकिन भर्ती नहीं हो रही। युवा वर्ग में इस मुद्दे को लेकर भारी आक्रोश देखा जा रहा है।
सरकार के लिए बनी चुनौती
अब देखना होगा कि राज्य सरकार इस चेतावनी को कितनी गंभीरता से लेती है। अगर सरकार ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो 1 जून से रायपुर में हजारों प्रशिक्षित अभ्यर्थी अनिश्चितकालीन आंदोलन पर बैठ सकते हैं, जिससे शिक्षा विभाग के साथ-साथ प्रशासन पर भी दबाव बढ़ेगा।