आईपीआर और वैज्ञानिक प्रकाशनों पर कार्यशाला का आयोजनआईपीआर और प्रकाशन: शोधकर्ताओं के लिए नए अवसर

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दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग में “आईपीआर और वैज्ञानिक प्रकाशन” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। तत्पश्चात सभी अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ प्रदान कर किया गया।

कार्यशाला का उद्देश्य शोधकर्ताओं एवं वैज्ञानिकों को बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPR) और वैज्ञानिक प्रकाशनों के महत्व से अवगत कराना तथा उन्हें अपने शोध कार्य को सुरक्षित और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करना था।

मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित डॉ. नीलेश एस. उगेमुगे, सहायक प्राध्यापक, आनंद निकेतन कॉलेज आनंदवन, वरोरा ने कहा कि — “आईपीआर और वैज्ञानिक प्रकाशनों का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। शोधकर्ताओं को चाहिए कि वे अपने शोध कार्य को प्रकाशित करने से पहले अपने बौद्धिक संपदा अधिकारों को सुरक्षित करें। जागरूकता की कमी के कारण कई बार शोधकर्ताओं को उनके परिश्रम का उचित लाभ नहीं मिल पाता।” उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए आईपीआर से जुड़ी व्यावहारिक समस्याओं और उनके समाधान पर चर्चा की।

दूसरे सत्र में प्रोफेसर संजय जे. ढोबले, भौतिकी विभाग, आर.टी.एम. नागपुर विश्वविद्यालय — जिन्हें विश्व के शीर्ष दो प्रतिशत वैज्ञानिकों में स्थान प्राप्त है — ने स्कोपस आधारित जर्नल्स के चयन, शोध पत्र लेखन की तकनीक, और प्रकाशन प्रक्रिया के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने शोधकर्ताओं को उच्च प्रभावी पत्रिकाओं में प्रकाशन हेतु आवश्यक सुझाव दिए और स्कोपस तथा वेब ऑफ साइंस में प्रकाशन से जुड़ी चुनौतियों पर चर्चा की।
प्रोफेसर ढोबले ने अब तक 1000 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं, 120 से अधिक पेटेंट प्राप्त किए हैं, 81 विद्यार्थियों ने उनके मार्गदर्शन में पीएचडी की उपाधि अर्जित की है तथा 38 अंतरराष्ट्रीय पुस्तकों का प्रकाशन किया है।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि “गुणवत्तापूर्ण शोध ही देश की वैज्ञानिक प्रगति की दिशा तय करता है। हमें अपने शोध को समाज और आमजन के जीवन स्तर को सुधारने से जोड़ना चाहिए।”
कार्यशाला की संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने अपने उद्बोधन में वैज्ञानिक प्रकाशनों में आईपीआर की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ. सुनीता मैथ्यू ने कार्यशाला की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की और बताया कि यह आयोजन शोधार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगा।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. संजू सिन्हा ने किया। आईक्यूएसी संयोजक डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, अतिथि प्राध्यापक एवं शोधार्थियों की उपस्थिति रही। कार्यक्रम की सफलता में डॉ. प्रज्ञा कुलकर्णी, डॉ. सुनीता बी. मैथ्यू, डॉ. तरलोचन कौर संधू, डॉ. संजू सिन्हा, डॉ. अभिषेक मिश्रा, डॉ. लतिका ताम्रकार, एवं डॉ. कुसुमांजली देशमुख का विशेष योगदान रहा।

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