दुर्ग नगर निगम में ट्रिपल इंजन सरकार के बीच तालमेल की कमी, उभरती गुटबाजी और विपक्ष की अवहेलना …

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दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग नगर पालिक निगम में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ट्रिपल इंजन सरकार—केंद्र, राज्य और स्थानीय स्तर पर—का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन इन तीनों इंजनों के बीच तालमेल की कमी स्पष्ट नजर आ रही है। नगरीय निकाय चुनाव के बाद महापौर श्रीमती अलका बाघमार के नेतृत्व में बनी शहरी सरकार और दुर्ग विधायक गजेंद्र यादव के बीच मतभेद की खबरें राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन रही हैं। इसके साथ ही, विपक्षी कांग्रेस पार्षदों ने भी शहरी सरकार और विधायक के रवैये पर सवाल उठाए हैं, जिससे दुर्ग की राजनीति में तनाव बढ़ता दिख रहा है।

निगम और विधायक के बीच बढ़ता तनाव
नगर निगम चुनाव से पहले विधायक गजेंद्र यादव निगम के विकास कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाते थे और अपनी विधायक निधि का उपयोग निगम एजेंसी के माध्यम से करते थे। लोकार्पण और उद्घाटन समारोहों में उनकी मौजूदगी आम थी। हालांकि, अलका बाघमार के महापौर बनने के बाद कई मौकों पर विधायक की अनुपस्थिति चर्चा का विषय रही। हाल ही में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर आयोजित सामान्य सभा के विशेष सत्र में भी विधायक गजेंद्र यादव शामिल नहीं हुए, जिस पर कांग्रेस पार्षदों ने तीखे सवाल उठाए।विपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि विधायक अब अपनी निधि निगम को देने के बजाय ग्रामीण अभियांत्रिकी सेवा (RES) विभाग को सौंप रहे हैं। इसके अलावा, बस स्टैंड के विस्तारीकरण और पुनर्निर्माण के मुद्दे पर भी मतभेद उजागर हुए। जहां महापौर और शहरी सरकार बस स्टैंड में भूमि आवंटन के मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं, वहीं विधायक गजेंद्र यादव इसके विस्तार और नए सिरे से निर्माण के पक्ष में हैं।

महापौर की कार्यशैली पर सवाल
हाल ही में शहरी सरकार की एक उच्चस्तरीय बैठक में महापौर अलका बाघमार ने प्रदेश के नगरीय निकाय मंत्री व उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मुलाकात की, लेकिन इस दौरान विधायक गजेंद्र यादव को साथ न ले जाना चर्चा का विषय बन गया। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम शहरी सरकार और विधायक के बीच बढ़ती दूरी को दर्शाता है। इसके साथ ही, भाजपा के भीतर गुटबाजी की खबरें भी जोर पकड़ रही हैं, जो पार्टी की एकजुटता पर सवाल उठा रही हैं।

विपक्ष को सम्मान न देने का आरोप
कांग्रेस पार्षदों ने शहरी सरकार पर लोकतांत्रिक मूल्यों की अनदेखी का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जहां प्रदेश के अन्य नगर निगमों में विपक्ष के नेता को सम्मान और कक्ष आवंटन जैसे अधिकार दिए जा रहे हैं, वहीं दुर्ग नगर निगम में ऐसा नहीं हो रहा। पिछली कांग्रेस सरकार ने विपक्ष के लिए दो कक्ष बनवाए थे, जो लोकतंत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता था। लेकिन वर्तमान शहरी सरकार पर विपक्ष को हाशिए पर धकेलने का आरोप लग रहा है।

एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर भी उठे सवाल
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर आयोजित सभा में विपक्ष ने न केवल विधायक की अनुपस्थिति पर सवाल उठाए, बल्कि शहरी सरकार की कार्यप्रणाली को भी कटघरे में खड़ा किया। कांग्रेस पार्षदों ने कहा कि अगर ट्रिपल इंजन सरकार में ही आपसी समन्वय की कमी है, तो एक साथ चुनाव कराने की बात कितनी व्यावहारिक है, यह विचारणीय है।

आगे क्या?
दुर्ग की राजनीति में उभर रही यह तस्वीर कई सवाल खड़े कर रही है। क्या शहरी सरकार और विधायक के बीच तालमेल की कमी से विकास कार्य प्रभावित होंगे? क्या भाजपा के भीतर गुटबाजी का असर पार्टी के भविष्य पर पड़ेगा? और सबसे अहम, क्या महापौर अलका बाघमार लोकतंत्र की खूबसूरत तस्वीर पेश करने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगी? इन सवालों के जवाब आने वाले समय में ही मिलेंगे।फिलहाल, दुर्ग नगर निगम की ट्रिपल इंजन सरकार के सामने आपसी समन्वय और विपक्ष के साथ सहयोग की चुनौती स्पष्ट दिख रही है। शहर की जनता की निगाहें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या यह सरकार एकजुट होकर विकास के रास्ते पर आगे बढ़ेगी, या फिर मतभेदों की खाई और गहरी होगी।

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