राज्य के विश्वविद्यालयों में लागू हुआ नया मूल्यांकन सिस्टम: अब पुनर्मूल्यांकन नहीं, ‘चैलेंज वैल्युएशन’

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राज्य के विश्वविद्यालयों में लागू हुआ नया मूल्यांकन सिस्टम: अब पुनर्मूल्यांकन नहीं, ‘चैलेंज वैल्युएशन’

भोपाल, अप्रैल 2025 — राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय परीक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव किया है। अब राज्य के सभी अकादमिक विश्वविद्यालयों और उनके अंतर्गत आने वाले कॉलेजों में पुनर्मूल्यांकन की प्रक्रिया को समाप्त कर ‘चैलेंज वैल्युएशन’ प्रणाली लागू की जा रही है।

इस नई प्रणाली के तहत छात्र-छात्राएं सीधे पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे। इसके बजाय वे परीक्षा में प्राप्त अंकों को चैलेंज कर सकेंगे। इस प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से यह परिवर्तन किया गया है।

कैसे होगी प्रक्रिया:
छात्रों को पहले विश्वविद्यालय की तय सुविधा के अनुसार ऑनलाइन या ऑफलाइन माध्यम से आवेदन कर सुरक्षा निधि के रूप में एक निश्चित राशि जमा करनी होगी। इसके बाद उन्हें उत्तर पुस्तिका की फोटोकॉपी उपलब्ध कराई जाएगी। छात्र 10 दिनों के भीतर अपने अभिभावकों या विषय विशेषज्ञों से उत्तरपुस्तिका की जांच करवा सकेंगे।

यदि उन्हें लगता है कि उनके अंकों में 10% से 25% तक की वृद्धि संभव है, तो वे निर्धारित शुल्क जमा कर अपने अंकों को चैलेंज कर सकेंगे। इसके बाद विश्वविद्यालय उस उत्तरपुस्तिका की दो कॉपियां बनाकर दो स्वतंत्र प्राध्यापकों को मूल्यांकन के लिए भेजेगा। दोनों से प्राप्त अंकों का औसत निकाला जाएगा।

10% से अधिक अंतर पर मिलेगा लाभ:
यदि औसत अंकों और पूर्व घोषित अंकों में कम से कम 10% का अंतर पाया जाता है, तो छात्रों के अंक संशोधित किए जाएंगे और जमा किया गया शुल्क वापस कर दिया जाएगा। यदि अंतर 10% से कम हुआ तो परिणाम यथावत रहेगा और शुल्क वापस नहीं किया जाएगा।

विशेषज्ञों की राय:
चैलेंज वैल्युएशन से वही छात्र आवेदन करेंगे जिन्हें वाकई लगता है कि उनके अंक बढ़ सकते हैं। इससे मूल्यांकन की गुणवत्ता में सुधार होगा और प्रोफेसर अधिक जिम्मेदारी से मूल्यांकन करेंगे।”

शुल्क निर्धारण विश्वविद्यालय पर निर्भर:
संचालक उच्च शिक्षा जनक पाठक ने बताया कि चैलेंज वैल्युएशन के लिए शुल्क उच्च शिक्षा विभाग द्वारा तय नहीं किया गया है। प्रत्येक विश्वविद्यालय अपनी सुविधा अनुसार शुल्क निर्धारण कर सकेगा।

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