नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास की नई रोशनी: पहली बार बना पक्का आवास
बीजापुर। वर्षों से नक्सल प्रभाव के कारण विकास से वंचित ग्राम पंचायत धरमारम में अब बदलाव की नई लहर दिख रही है। सुरक्षा कैंप स्थापित होने के बाद इस गांव में पहली बार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पक्का मकान बनकर तैयार हुआ है। यह ऐतिहासिक उपलब्धि 70 वर्षीय श्रीमती गुंडी बुचमा के रूप में सामने आई है, जिन्होंने तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने बेटे को शिक्षा से जोड़े रखा और आज एक पक्के घर में रहने का सपना साकार किया है।
77 वर्षों बाद आजादी का एहसास
ग्राम पंचायत धरमारम, जो वर्षों से माओवाद के प्रभाव में था, अब धीरे-धीरे विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। नक्सल प्रभाव के चलते यहां सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन बेहद कठिन था। पानी, बिजली, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव था, और ग्रामीण आतंक और भय के साये में जीवन जीने को मजबूर थे।
श्रीमती गुंडी बुचमा की कहानी विशेष इसलिए भी है क्योंकि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारी। पति की मृत्यु के बाद वे खेती-बाड़ी कर अपने बेटे का पालन-पोषण करती रहीं। शिक्षा के प्रति उनके समर्पण का ही परिणाम है कि उन्होंने अपने बेटे को दूसरे पंचायत में भेजकर 12वीं तक की शिक्षा दिलाई।
सुरक्षा कैंप के बाद बदली स्थिति
गांव में सुरक्षा कैंप लगने के बाद माओवाद का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगा। वित्तीय वर्ष 2024-25 में ग्राम पंचायत को प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी मिली, लेकिन आरंभ में ग्रामीण भय के कारण आवास निर्माण के लिए आगे नहीं आ रहे थे। समय के साथ स्थिति बदली और श्रीमती गुंडी बुचमा ने साहस दिखाते हुए आवास निर्माण की प्रक्रिया शुरू की। आज उनका पक्का मकान बनकर तैयार हो चुका है, जो नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुका है।
बेटे का आभार
श्रीमती गुंडी बुचमा के पुत्र ने बताया कि वर्षों तक उनका परिवार नक्सलियों के डर से झोपड़ी में बिना बिजली, सड़क और पानी के जीवनयापन कर रहा था। लेकिन अब परिस्थितियां बदल रही हैं। उन्होंने शासन-प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सुरक्षा कैंप की स्थापना से गांव में बदलाव आ रहा है और भविष्य में और भी विकास कार्यों की उम्मीद जगी है।
धरमारम गांव में यह परिवर्तन न केवल श्रीमती गुंडी बुचमा के लिए बल्कि पूरे समुदाय के लिए एक प्रेरणा बन गया है। यह साबित करता है कि जब सुरक्षा और प्रशासनिक सहयोग उपलब्ध हो, तो विकास की रोशनी सबसे दुर्गम इलाकों तक भी पहुंच सकती है।