
छत्तीसगढ़ राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने उपभोक्ताओं के हक में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। आयोग ने एक बिल्डर को आदेश दिया है कि वह उपभोक्ता द्वारा खरीदी गई जमीन को दोगुनी कीमत पर वापस खरीदे। साथ ही, उपभोक्ता को मानसिक व शारीरिक कष्ट के लिए मुआवजा और ब्याज भी देने का निर्देश दिया गया है।
मामला 2015 का है, जब दयावती चौहान ने बिल्डर की परियोजना में 1,000 वर्गफुट का प्लॉट पंजीकृत अनुबंध के तहत खरीदा था। अनुबंध में यह स्पष्ट शर्त थी कि अगर खरीदार 5 से 5.5 साल बाद प्लॉट वापस बेचना चाहे, तो बिल्डर उसे मूल कीमत से दोगुने दाम पर वापस खरीदेगा।
निर्धारित समय के बाद जब चौहान ने बिल्डर से अनुबंध की शर्त पूरी करने की मांग की तो कंपनी ने इंकार कर दिया। चौहान ने पहले छत्तीसगढ़ रेरा (RERA) और फिर जिला उपभोक्ता आयोग, बैकुंठपुर का दरवाजा खटखटाया, लेकिन दोनों जगह उनकी शिकायत खारिज कर दी गई।
इसके बाद चौहान ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति गौतम चौर्डिया और सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा की खंडपीठ ने 3 सितम्बर 2025 को आदेश सुनाते हुए कहा कि बिल्डर का इनकार अनुचित व्यापार प्रथा और सेवा में कमी के दायरे में आता है।
आयोग ने आदेश दिया:
- बिल्डर दोगुनी कीमत यानी 10.50 लाख रुपये में प्लॉट खरीदे।
- शिकायत दर्ज होने की तारीख 21 नवम्बर 2023 से 6% वार्षिक ब्याज अदा करे।
- उपभोक्ता को 35,000 रुपये मानसिक व शारीरिक पीड़ा के लिए मुआवजा दे।
- 10,000 रुपये विधिक खर्च का भुगतान करे।
- चौहान को औपचारिकताओं को पूरा करने में बिल्डर का सहयोग करने का निर्देश दिया।
इस फैसले को उपभोक्ताओं के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि उपभोक्ता आयोग ऐसे मामलों में हस्तक्षेप कर सकता है और बिल्डरों को अनुबंधित दायित्व निभाने के लिए बाध्य कर सकता है