वीरेंद्र दुबे के तीखे सवाल: शिक्षा से भी बदतर हो चुकी प्रशासनिक व्यवस्था का कब होगा युक्तियुक्तकरण?

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रायपुर, 26 मई 2025

छत्तीसगढ़ में स्कूल शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रक्रियाधीन युक्तियुक्तकरण को लेकर जहाँ एक ओर शैक्षिक संगठनों द्वारा 28 मई को मंत्रालय घेराव की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं, वहीं शालेय शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली से जुड़े कई गंभीर और ज्वलंत मुद्दे उठाए हैं। संघ के प्रांताध्यक्ष श्री वीरेंद्र दुबे ने प्रशासनिक संवर्ग की अनदेखी और विभागीय विफलताओं पर सीधा सवाल उठाया है।

श्री दुबे ने स्पष्ट किया कि राज्य में एकल शिक्षक शालाओं में शिक्षक उपलब्ध कराने के प्रयासों का कोई संगठन विरोध नहीं कर रहा है। विरोध का विषय वे मापदंड और विसंगतियाँ हैं जो युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया में शामिल हैं और जो न केवल शिक्षा की गुणवत्ता और सर्वसुलभता को प्रभावित करती हैं, बल्कि शिक्षकों के हितों के भी विरुद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि स्कूल शिक्षा विभाग की प्रशासनिक व्यवस्था शैक्षिक व्यवस्था से भी बदतर हो चुकी है। विभागाध्यक्ष पद पर कार्यरत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का कार्यकाल तय नहीं होता, जिससे एक-दो वर्षों में उनका स्थानांतरण हो जाता है। वहीं, संचालक स्तर से लेकर उपसंचालक तक के अधिकांश पद रिक्त हैं, या वर्षों से प्रभारी के रूप में संचालित हो रहे हैं।

राज्य के लगभग 80% हाई स्कूल और हायर सेकंडरी स्कूल प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे संचालित हो रहे हैं। पिछले 6–8 वर्षों में विभाग द्वारा इन पदों पर कोई पदोन्नति नहीं की गई है, जिससे तदर्थवाद और प्रभारी संस्कृति को बढ़ावा मिला है।

प्रांतीय महासचिव श्री धर्मेश शर्मा ने प्रशासनिक संवर्ग के मूल्यांकन की माँग करते हुए कहा कि शिक्षकों का प्रतिवर्ष आंकलन होता है, लेकिन उन अधिकारियों का मूल्यांकन नहीं होता जिनकी नीतियों के तहत शिक्षक कार्य करते हैं। विफल नीतियों का सारा दोष भी अंततः शिक्षकों पर ही मढ़ दिया जाता है।

संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष श्री चंद्रशेखर तिवारी, प्रदेश मीडिया प्रभारी श्री जितेंद्र शर्मा सहित अन्य पदाधिकारियों ने माननीय मुख्यमंत्री से अपील की है कि युक्तियुक्तकरण और अन्य संबंधित मुद्दों पर गंभीरतापूर्वक संज्ञान लेकर सभी संबंधित पक्षों की आपत्तियों और सुझावों को ध्यान में रखते हुए सर्वसम्मत और सार्थक समाधान निकाला जाए।

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