पहली वाली को छोड़ दूसरी महिला को पत्नी मानता था युवक, कानूनी लड़ाई में पीड़िता को मिला न्याय

Spread the love

पढ़े पूरी खबर यूपी। अग्नि के सात फेरे लेकर बाबुल के आंगन से बेबी साथ विदा हुई थी। छह साल तक पत्नी का धर्म निभाया। पति ने बेटे के साथ घर से निकाल दिया जिसके बाद पत्नी का दर्जा और सम्मान के लिए सामाजिक लड़ाई शुरू की। बात नहीं बनी तो वर्ष 2012 में कोर्ट से इंसाफ मांगने पहुंची। दबाव बना और परिवार बसने का फिर से भरोसा मिला तो अपील वापस ले ली, इसके बाद भी स्थिति नहीं बदली। वर्ष 2016 में फिर कोर्ट पहुंची। नौ साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद कोर्ट ने बेबी को सुनील की पत्नी माना और पांच हजार रुपये मासिक मुकदमा दाखिल होने की तिथि से देने के आदेश दिए। अधिवक्ता सुनील तिवारी के मुताबिक सुनील ने दूसरी शादी पंजीकृत कराई थी। वर्तमान में वह दूसरी पत्नी और बच्चों के साथ रह रहा है। दस्तावेजों में भी उसकी दूसरी पत्नी का नाम ही दर्ज है।

अधिवक्ता के मुताबिक पनकी निवासी बेबी का विवाह मंधना के शटरिंग कारोबारी सुनील संग 13 मई 1989 को हुआ था। पिता की ओर से उपहार आदि देकर विदा किया था। दोनों के एक पुत्र पैदा हुआ। बेबी ने आरोप लगाया कि कुछ दिन सब ठीक चलने के बाद ससुराल वाले प्रताड़ित करने लगे। कम दहेज का भी ताना दिया गया। पांच जनवरी 1995 को पति ने बेटे कुलदीप संग घर से बाहर निकाल दिया। अधिवक्ता के मुताबिक बेबी ने गुजारा भत्ता दिलाए जाने का आवेदन वर्ष 2011 में किया जो उनके न पहुंचने पर 7 जनवरी 2012 को खारिज हो गया। जिसके बाद 2016 को बेबी ने पुन: गुजारा भत्ता वाद दाखिल किया। अधिवक्ता के मुताबिक सुनील ने बेबी से शादी के कुछ समय बाद एक और शादी की और उसके साथ रहने लगा। उसकी यह स्थिति देखकर सुनील के पिता ने बेबी को रहने के लिए अलग से कमरा दिया था जिसमें वह गुजर-बसर करती रही। वर्ष 2011 में वहां से भी उसे निकाल दिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× How can I help you?