रहस्यों से भरी गुफा सिर्फ एक दिन के लिए होगी जनता के लिए खुली, प्राचीनतम धरोहर में छिपे हैं इतिहास के अनगिनत रहस्य

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खैरागढ़ | गंगाराम पटेल हर साल की तरह इस बार भी मंडीप खोल की रहस्यमयी गुफा अक्षय तृतीया के बाद आने वाले सोमवार को आम लोगों के दर्शन के लिए खुलेगी। यह वहीं गुफा है जिसकी गोद में न केवल प्राकृतिक सौंदर्य समाया है, बल्कि इतिहास और पुरातत्व के गूढ़ रहस्य भी दबे हैं।

छुईखदान ब्लॉक से करीब 50 किलोमीटर दूर, ठाकुरटोला ग्राम पंचायत के गहन वन क्षेत्र में स्थित मंड़ीप खौल गुफा तक पहुंचना किसी रोमांचक यात्रा से कम नहीं। रास्ते में एक छोटी नदी को लगभग 16 बार पार करना होता है और वह भी बिना पुल या स्थाई मार्ग के। उबड़-खाबड़ पगडंडियों से होते हुए श्रद्धालु और रोमांच प्रेमी गुफा तक पहुंचते हैं। यही वजह है कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि साहसिक अभियान जैसा बन जाती है।

सिर्फ एक दिन खुलती है रहस्य की यह खिड़की

गुफा साल भर बंद रहती है और केवल अक्षय तृतीया के बाद वाले सोमवार को खोली जाती है। मान्यता है कि सबसे पहले ठाकुरटोला के पूर्वज जमींदार परिवार के वंशज कुल देवी को स्मरण कर गुफा के द्वार खोलते हैं। इसके पश्चात ही श्रद्धालु भीतर प्रवेश कर पाते हैं और वहां स्थित प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन करते हैं।

गुफा के भीतर वातावरण पूरी तरह आध्यात्मिक और रहस्यमयी होता है। जैसे ही टॉर्च या मोबाइल की रोशनी भीतर पड़ती है, दीवारों से टिमटिमाती चट्टानें चमक उठती हैं, मानो कोई गुप्त संसार जाग गया हो। गुफा के संकरे रास्ते, तीखे चढ़ाव और उतार, और अनिहित गहराई आज भी विशेषज्ञों के लिए पहेली बने हुए हैं।

पुरातत्व विभाग ने माना ऐतिहासिक महत्व

कुछ वर्ष पूर्व पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए सीमित सर्वेक्षण में यह बात सामने आई थी कि मंड़ीप खोल गुफा भारत की सबसे लंबी और एशिया की दूसरी सबसे लंबी प्राकृतिक गुफा हो सकती है। हालांकि, संपूर्ण सर्वे नहीं हो पाने के कारण इसकी वास्तविक लंबाई और अन्य भौगोलिक विशेषताएं आज भी एक रहस्य हैं।

गुफा के भीतर कुछ दीवारों और संरचनाओं में

मानव निर्मित चिन्ह भी देखे गए हैं, जो यह संकेत देते हैं कि कभी यह स्थान किसी प्राचीन सभ्यता की उपासना स्थली रही होगी। अगर समय रहते वैज्ञानिक शोध और पुरातत्व खुदाई हो, तो यह गुफा भारत की ऐतिहासिक धरोहरों में अहम स्थान पा सकती है।

पर्यटन की असीम संभावना, पर विकास की कमी

वर्तमान में मंड़ीप खोल गुफा तक पहुंचने के लिए कोई पक्का मार्ग नहीं है। स्थानीय समिति द्वारा अस्थायी व्यवस्थाएं की जाती हैं, जैसे कि मार्ग की सफाई, पेयजल की व्यवस्था और दर्शनार्थियों के लिए मार्गदर्शन। फिर भी एक संरचित पर्यटन योजना की कमी स्पष्ट है।

यदि जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग इस और संजीदगी से ध्यान दें, तो यह स्थल छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश के साहसिक और धार्मिक पर्यटन मानचित्र में एक अलग पहचान बना सकता है।

धरोहर को संजोने की जरूरत

महीप खोल गुफा न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह एक जीवित पुरातात्विक संग्रहालय भी है जहां हर पत्थर, हर चट्टान, हर मोड़ इतिहास की गूंज लिए हुए है।

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