
दुर्ग।
शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय, दुर्ग (साइंस कॉलेज दुर्ग) के भूगोल विभाग द्वारा एम.ए. चतुर्थ एवं द्वितीय सेमेस्टर के विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक भ्रमण एवं अध्ययन यात्रा का आयोजन किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल मिश्रा के निर्देशन में कुल 33 विद्यार्थियों को 5 समूहों में विभाजित कर, रुसा 2.0 मद से 27 से 30 अक्टूबर 2025 तक विशाखापत्तनम भेजा गया, जहाँ विद्यार्थियों ने हाल ही में आए “मोथा चक्रवात” का विस्तृत अध्ययन किया।

विद्यार्थियों ने बंगाल की खाड़ी में मुख्य रूप से अक्टूबर माह के दौरान चक्रवात बनने के कारणों, प्रभावों और भौगोलिक परिस्थितियों का प्रत्यक्ष अध्ययन किया। उन्होंने समुद्र तटीय क्षेत्रों, समुद्री लहरों के अपरदन एवं निक्षेपण से बनने वाली भू-आकृतियों, पूर्वी घाट के पर्वतीय प्रभाव, बंदरगाह की भौगोलिक संरचना, मछली व्यापार, और समुद्री जल के सैंपल संग्रह जैसे विविध पहलुओं पर भी जानकारी प्राप्त की।
महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक प्रशांत दुबे ने विद्यार्थियों द्वारा किए गए अध्ययन का निष्कर्ष प्रस्तुत करते हुए बताया —
“मानसून के बाद अक्टूबर से नवंबर तक बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान अधिक रहने, नमी युक्त वायु और अनुकूल पवन पैटर्न के कारण चक्रवातों की गतिविधि बढ़ जाती है। इस अवधि में अंतर-उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र (ITCZ) के दक्षिण की ओर खिसकने से निम्न-दाब प्रणालियाँ विकसित होती हैं, जो आगे चलकर चक्रवातों में परिवर्तित हो जाती हैं।”
उन्होंने आगे बताया कि संक्रमण काल के दौरान वायुमंडलीय अस्थिरता और गर्म समुद्री तापमान चक्रवातों की तीव्रता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विद्यार्थियों ने चक्रवात के प्रकार, चक्रवात के विभिन्न भागों में वर्षा की स्थिति, तथा चक्रवर्ती वर्षा और पर्वतीय वर्षा के अंतर को भी स्पष्ट रूप से समझा।
इस भ्रमण में सहायक प्राध्यापक के मार्गदर्शन में सभी विद्यार्थियों ने सक्रिय भागीदारी की।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह ने इस भौगोलिक भ्रमण की सराहना करते हुए कहा —
“ऐसे अध्ययन भ्रमण विद्यार्थियों को केवल पाठ्य ज्ञान तक सीमित नहीं रखते, बल्कि उन्हें वास्तविक परिस्थितियों को समझने का अवसर प्रदान करते हैं। ‘मोथा चक्रवात’ का प्रत्यक्ष अध्ययन विद्यार्थियों की अनुसंधानात्मक एवं विश्लेषणात्मक सोच को प्रोत्साहित करेगा।”


