
पुडुचेरी की नाबालिग छात्रा के पक्ष में आया आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा हाईकोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में पुडुचेरी की एक नाबालिग बच्ची को उसकी मां की जाति ‘आदि द्राविड़’ के आधार पर अनुसूचित जाति (SC) प्रमाणपत्र जारी करने की अनुमति दी है। मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की पीठ ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

बच्ची के हित को प्राथमिकता
शीर्ष अदालत ने कहा कि बच्ची के शैक्षणिक भविष्य और कल्याण को देखते हुए SC प्रमाणपत्र देना उचित है। अदालत ने माना कि प्रमाणपत्र न मिलने पर उसकी पढ़ाई और आगे के अवसर प्रभावित हो सकते हैं।
पिता की जाति का नियम बना रहा बहस का विषय
अब तक प्रचलित नियमों और कई पुराने फैसलों में बच्चे की जाति प्रायः पिता की जाति से तय मानी जाती थी। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह फैसला सभी मामलों पर लागू होने वाला व्यापक नियम नहीं है, बल्कि मामले की परिस्थितियों को देखते हुए लिया गया निर्णय है। इसके बावजूद, यह आदेश बदलते सामाजिक मानकों और जाति विरासत की परंपराओं पर नई बहस छेड़ रहा है।
पहले भी मिल चुकी है छूट
अदालत ने यह भी याद दिलाया कि 2012 के एक फैसले में कहा गया था—यदि इंटर-कास्ट मैरिज में जन्मा बच्चा SC/ST मां के सामाजिक वातावरण में पला-बढ़ा है और उसी तरह भेदभाव झेलता है, तो उसे उस समुदाय का सदस्य माना जा सकता है।

