पृथ्वी दिवस 2025: धरती के लिए एक दिन नहीं, एक जिम्मेदारी

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नई दिल्ली:
आज दुनिया भर में पृथ्वी दिवस मनाया गया – एक ऐसा दिन जो केवल पर्यावरण के प्रति प्रेम नहीं, बल्कि संरक्षण और चेतना का प्रतीक बन चुका है। हर वर्ष 22 अप्रैल को मनाया जाने वाला यह दिवस आज वैश्विक मंच पर धरती के भविष्य के प्रति हमारी साझा जिम्मेदारी की याद दिलाता है।

इतिहास से वर्तमान तक का सफर

पृथ्वी दिवस की शुरुआत वर्ष 1970 में अमेरिका में हुई थी, जब सीनेटर गेइलॉर्ड नेल्सन ने पर्यावरण प्रदूषण और जैव विविधता संकट पर लोगों को जागरूक करने के लिए इसे प्रस्तावित किया। यह आयोजन जल्द ही एक जन आंदोलन बन गया, और 1990 में इसे वैश्विक रूप दिया गया।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2009 में 22 अप्रैल को “International Mother Earth Day” घोषित किया, ताकि पूरी दुनिया में पर्यावरणीय संतुलन और प्रकृति के साथ सामंजस्य की भावना को बल मिले।

धरती की वर्तमान स्थिति चिंताजनक

वर्तमान में धरती गंभीर पर्यावरणीय संकटों से गुजर रही है:

ग्लोबल वार्मिंग के कारण असामान्य मौसम परिवर्तन

प्लास्टिक प्रदूषण से महासागर और जीव संकट में

वनों की कटाई, जैव विविधता में गिरावट, और जल संकट

लगातार बढ़ते कार्बन उत्सर्जन से बिगड़ता पारिस्थितिकी तंत्र

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्टों के अनुसार, यदि वर्तमान दर पर संसाधनों का दोहन होता रहा, तो 2030 तक जलवायु संकट अपरिवर्तनीय हो सकता है।

2025 की थीम: “Planet vs. Plastics”

इस वर्ष की वैश्विक थीम “Planet vs. Plastics” पर केंद्रित रही।
इसका उद्देश्य है – प्लास्टिक के उपयोग को घटाकर धरती को बचाना।
दुनिया भर में रैलियां, वृक्षारोपण, सफाई अभियान और शैक्षिक संगोष्ठियों का आयोजन हुआ।

मानवता की जिम्मेदारी: अब नहीं तो कभी नहीं

विशेषज्ञों और पर्यावरणविदों का मानना है कि पृथ्वी को बचाने के लिए अब केवल नीतियां नहीं, व्यक्तिगत परिवर्तन और सामूहिक प्रयास भी ज़रूरी हैं। इसमें प्रमुख कदम हैं:

सिंगल यूज़ प्लास्टिक का त्याग

पुनः उपयोग और पुनर्चक्रण

हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) को अपनाना

पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना

स्थानीय स्तर पर ग्रीन अभियान चलाना

भविष्य की ओर एक नज़र

यदि हम सजग हों, तो तकनीक, जागरूकता और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के ज़रिए हम धरती को फिर से स्वस्थ बना सकते हैं।
पर्यावरण की रक्षा करना अब विकल्प नहीं, अनिवार्यता है।

समाप्ति संदेश:

धरती केवल एक ग्रह नहीं, हमारा एकमात्र घर है। उसे बचाना हम सबका कर्तव्य है।”


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