दुर्ग। लक्ष्य आधारित एवं योजना बध्द रिसर्च वर्तमान समय की मांग है। शोधार्थियों को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि उनका शोध कार्य सदैव समाज के हित में हो। यह निष्कर्ष आज शासकीय आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम आदर्श महाविद्यालय सोमनी, राजनांदगांव में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार में आमंत्रित वक्ताओं द्वारा दिए गए उद्बोधन में सामने आया। यह जानकारी देते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनिल कुमार कश्यप तथा सेमीनार के संयोजक श्री पंकज भारती ने संयुक्त रूप से बताया कि उच्च शिक्षा, दुर्ग संभाग के अपर संचालक डॉ. राजेश पाण्डेय ने मुख्य अतिथि के रूप में अपना उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रोफेसर जगदीश चंद्र बसु ने सर्वप्रथम पौधों में जीवन की अवधारणा प्रतिपादित की थी। प्राण अर्थात् उर्जा का सूचक होता है।

डॉ. पाण्डेय ने कहा कि हमारी धार्मिक मान्यतायें विज्ञान पर आधारित है। उन्होंने बिग बैंक थ्योरी का भी रोचक उदाहरण दिया। डीएनए अध्ययन तथा गॉड पार्टिकल पर हो रहे नये शोध की भी जानकारी डॉ. पाण्डेय ने दी।
सरस्वती वंदना, राज्यगीत की प्रस्तुतिकरण तथा अतिथियों के स्वागत के साथ आरंभ हुये कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. अनिल कश्यप ने अपने स्वागत भाषण में बताया कि 2015 में स्थापित मॉडल कालेज, सोमनी में प्रथम बार किसी भी राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन हो रहा है। इस सेमीनार हेतु 150 से अधिक प्रतिभागियों ने अपना पंजीकरण कराया है। अतिथियों का स्वागत करने वालों में प्राचार्य डॉ. अनिल कश्यप, संयोजक श्री पंकज भारती, डॉ. मुस्तफा अंसारी, डॉ. त्रिवेणी साहू, डॉ. निकिता शाह तथा डॉ. राधिका सरकार शामिल थे। सेमीनार के संयोजक डॉ. पंकज भारती ने सेमीनार के विषय वस्तु की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने संबोधन में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के डॉ. शैलेष जाधव ने कहा कि हमें यह सोचना होगा कि भविष्य में लाईफ साईसेंस के क्षेत्र में शोध हेतु कौन से बिंदु है। यूरोपीय देशों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वे हमेशा योजना बध्द एवं लक्ष्य आधारित शोध करते है। डॉ. जाधव ने बताया कि सिंकदर महान की सेना में शोध करने वाले 65 वैज्ञानिक शामिल थे।
शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव की प्राचार्य डॉ. सुचित्रा गुप्ता ने सोमनी महाविद्यालय के आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से युवा पीढ़ी में ज्ञान का नया संचार होता है, यह आयोजन अन्य महाविद्यालयों के लिए भी अनुकरणीय है।

शासकीय महाविद्यालय लाल बहादुर नगर के प्राचार्य डॉ. आर. के. ठाकुर ने विशिष्ट अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण से निपटने के प्रति हम सभी को गंभीर होना चाहिए। आज उद्घाटन समारोह के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए प्राध्यापकों, चिकित्सकों एवं वैज्ञानिकों ने अपने विचार व्यक्त किये। सेमिनार मे साईस कालेज, दुर्ग के डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव, डॉ. जी.एस. ठाकुर, डॉ. अनुपमा कश्यप, डॉ. अलका मिश्रा शासकीय महाविद्यालय, उतई के डॉ. अवधेश श्रीवास्तव, शासकीय महाविद्यालय, खुर्सीपार के डॉ. विनोद साहू शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव के डॉ. सोनल मिश्रा, डॉ. त्रिलोक सहित मॉडल कालेज, राजनांदगांव के समस्त प्राध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। उद्घाटन सत्र में अतिथियों द्वारा सेमीनार में प्रस्तुत किए जाने वाले शोध पत्रों से समाहित एक स्मारिका का विमोचन भी किया गया।

भोजन अवकाश के पश्चात् तकनीकी सत्रों में विषय विशेषज्ञों द्वारा दिए गए आमंत्रित व्याख्यान में नोयडा इन्टरनेशनल विश्वविद्यालय के डॉ. धर्मशील, गुरूघासी दास विश्वविद्यालय बिलासपुर के डॉ. नवीन विश्वकर्मा गुजरात के रिसर्च सेंटर के डॉ. यशवंत रात्रे तथा गुरुघासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर के डॉ. आशीष बंजारे, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर के डॉ. के. के. साहू भिलाई महिला महाविद्यालय की डॉ. भावना पाण्डेय, स्वरूपानंद महाविद्यालय की डॉ. शमा अफरोज बेग द्वारा प्रस्तुत संबोधन उल्लेखनीय रहे। उद्घाटन एवं तकनीकी सत्रों का संचालन डॉ. राधिका सरकार तथा डॉ. सौरभ साहू ने किया। धन्यवाद ज्ञापन के साथ राष्ट्रीय सेमीनार का समापन हुआ।
