
राज्य में शिक्षा सत्र 2026-27 से छात्रों के लिए एक बड़ा बदलाव लागू होगा। अब स्कूल और कॉलेज में अलग-अलग रजिस्ट्रेशन करने की जरूरत नहीं रहेगी। नर्सरी में प्रवेश के समय छात्रों को ऑटोमेटेड परमानेंट अकादमिक अकाउंट रजिस्ट्रेशन (अपार) नंबर मिलेगा, जो उनके पूरे शैक्षणिक जीवन के लिए मान्य रहेगा।
सभी अकादमिक रिकॉर्ड होंगे एक जगह
पहले स्कूल में कक्षा 9वीं से 12वीं तक अलग नंबर और कॉलेज में प्रवेश के बाद नया रजिस्ट्रेशन नंबर मिलता था। इससे छात्रों को कई फीस और नंबर याद रखने की परेशानी होती थी। अब अपार आईडी के माध्यम से नर्सरी से लेकर विश्वविद्यालय, डिप्लोमा और शोध स्तर तक का रिकॉर्ड एक ही आईडी से जुड़ा रहेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार कदम
यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है। इसका उद्देश्य छात्रों की पढ़ाई का पूरा विवरण एकीकृत रूप में उपलब्ध कराना है।
सटीक GER आंकड़े संभव
एबीसी और अपार आईडी अनिवार्य होने से नर्सरी से उच्च शिक्षा तक के छात्रों का वास्तविक पंजीयन डेटा मिल सकेगा। इससे यह भी पता चलेगा कि कितने छात्र पढ़ाई जारी रखते हैं और कितने बीच में छोड़ देते हैं, जिससे ग्रास इनरोलमेंट रेशियो (GER) का सही आकलन किया जा सकेगा।
राज्य के विश्वविद्यालयों में सीटें खाली
राज्य के प्रमुख विश्वविद्यालयों — पं. रविशंकर शुक्ल विवि रायपुर, हेमचंद यादव विवि दुर्ग, अटल बिहारी वाजपेयी विवि बिलासपुर, संत गुरु गहिरा विवि अंबिकापुर, शहीद महेंद्र कर्मा विवि जगदलपुर और शहीद नंद कुमार पटेल विवि रायगढ़ — में इस वर्ष लगभग 50 हजार सीटें खाली पड़ी हैं।
शिक्षा विभाग का बयान
संतोष कुमार देवांगन, संचालक, उच्च शिक्षा ने कहा —
“अपार आईडी छात्रों का पूरा अकादमिक रिकॉर्ड सुरक्षित रखेगी। एक बार आईडी बनने के बाद अलग रजिस्ट्रेशन की जरूरत नहीं पड़ेगी। शिक्षा सत्र 2026-27 से सभी डिग्री कॉलेजों में बिना एबीसी और अपार आईडी के प्रवेश नहीं दिया जाएगा। विश्वविद्यालयों को इसके क्रियान्वयन में स्वतंत्रता दी जा सकती है।”
