
दुर्ग। इंदिरा गांधी शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, वैशाली नगर द्वारा 7 और 8 अक्टूबर 2025 को “बौद्धिक संपदा अधिकार: सतत विकास के लिए नवाचारों को सशक्त बनाना और रचनात्मकता की रक्षा” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जो प्रधानमंत्री-उषा योजना द्वारा वित्त पोषित है। 7 अक्टूबर को संगोष्ठी के पहले दिन, छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (सीसीओएसटी), रायपुर के वैज्ञानिक डॉ. अमित दुबे मुख्य अतिथि थे।
संगोष्ठी की संयोजक डॉ. नीता डेनियल ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया और संगोष्ठी के उद्देश्यों को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री-उषा समन्वयक डॉ. संजय कुमार दास ने उपस्थित लोगों को बताया कि इस निधि के लिए कॉलेज का चयन कैसे किया गया।
महाविद्यालय की प्राचार्या एवं संगोष्ठी की संरक्षक डॉ. अलका मेश्राम ने महाविद्यालय के समग्र विकास के लिए प्रधानमंत्री उषा निधि के महत्व पर बल दिया और बताया कि इस प्रकार के संगोष्ठियों का आयोजन किस प्रकार शैक्षणिक विकास और बौद्धिक संवर्धन में योगदान देता है और शैक्षणिक एवं शोध में बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता के महत्व को स्वीकार करता है।
मुख्य भाषण में डॉ. अमित दुबे ने नवाचारों के अर्थ पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि किस प्रकार रचनात्मकता और मौलिक सोच सरल विचारों को प्रभावशाली समाधान में बदल सकती है। तकनीकी सत्र में दिल्ली उच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित अधिवक्ता श्री हार्दिक वशिष्ठ ने ऑनलाइन व्याख्यान दिया, जिसमें उन्होंने बौद्धिक संपदा अधिकारों के कानूनी पहलुओं पर बहुमूल्य जानकारी दी और व्यक्तित्व अधिकारों का परिचय भी दिया।
छात्रों द्वारा एक शोध-प्रस्तुति का आयोजन किया गया जिसमें बी.एससी. अंतिम वर्ष से साक्षी गुप्ता, अक्षय शिंदे और अमित कुमार साहू तथा एम.एससी. रसायन विज्ञान से मयंक, अमित स्वर्णकार और विजय लक्ष्मी यदु ने अपने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. अवधेश कुमार श्रीवास्तव, प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान एवं सूक्ष्म जीव विज्ञान, शासकीय डीटी कॉलेज, उतई ने की तथा सत्र का समापन अध्यक्ष के प्रेरक संबोधन के साथ हुआ।