साइंस कॉलेज दुर्ग में महर्षि वाल्मीकि जयंती समारोह उत्साहपूर्वक सम्पन्न

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आदिकवि वाल्मीकि ने राम के आदर्शों को अमर बनाया – कमल नारायण

दुर्ग। शासकीय विज्ञान महाविद्यालय दुर्ग में संस्कृत विभाग एवं योग विभाग के संयुक्त तत्वावधान में महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर एक गरिमामय समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं मंगलाचरण से हुआ।

मुख्य वक्ता एवं आचार्य कमल नारायण ने अपने संबोधन में कहा कि महर्षि वाल्मीकि ने भगवान श्रीराम को “हविर्भुजा” कहा है, अर्थात जो हवन किए बिना भोजन ग्रहण नहीं करते थे। उन्होंने बताया कि वाल्मीकि केवल एक कवि नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति के दार्शनिक और समाज सुधारक थे, जिन्होंने रामायण के माध्यम से मर्यादा, आदर्श और धर्म की परिभाषा को युगों-युगों तक जीवित रखा।

कार्यक्रम के अध्यक्ष महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं, जिनके आदर्श आज भी समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने कहा कि आदिकवि महर्षि वाल्मीकि ने अपने लेखन से भगवान राम के जीवन चरित्र को अमर बना दिया। आज हम सब उनके प्रति श्रद्धा अर्पित करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लेते हैं।

इस अवसर पर संस्कृत विभाग द्वारा पूजा पद्धति एवं संस्कार प्रशिक्षण प्रमाण पत्रीय पाठ्यक्रम का शुभारंभ किया गया तथा योग विभाग द्वारा योग विज्ञान पर प्रमाण पत्रीय पाठ्यक्रम आरंभ किया गया।
इस अवसर पर आचार्य कमल नारायण ने यज्ञ के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यज्ञ से पर्यावरण शुद्ध होता है यज्ञ अपने आप में एक विज्ञान है।
विद्यार्थियों को यज्ञ करने की विधि भी बतलाई गई।

कार्यक्रम में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. अभिनेष सुराना, डॉ. के. पद्मावती, डॉ. ज्योतिधारकर, डॉ. अम्बरीष त्रिपाठी, अनुराग मिश्रा, तरुण कुमार साहू, निखिल देशलहरा, डॉ. शारदा सिंह एवं डॉ. लता गोस्वामी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो. जनेंद्र कुमार दीवान ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन क्रीड़ा अधिकारी एवं योग विभागाध्यक्ष लक्ष्मेन्द्र कुलदीप ने प्रस्तुत किया। योग शिक्षिका डॉ नीरा सिंह ने कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया।

इस अवसर पर विद्यार्थियों ने भी महर्षि वाल्मीकि के जीवन, विचारों और योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम श्रद्धा, उत्साह और गरिमामय वातावरण में सम्पन्न हुआ।

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