वर्तमान युग में भू-स्थानिक तकनीकों (Geospatial Technologies) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण :डॉ. विकास स्वर्णकार
दुर्ग। शासकीय विज्ञान महाविद्यालय, दुर्ग के भूगोल विभाग में आज रिमोट सेंसिंग सर्टिफिकेट कोर्स के अंतर्गत एक विशेष शैक्षणिक व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भूगर्भ शास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ विकास स्वर्णकार ने विद्यार्थियों को कंप्यूटर कार्टोग्राफी, जीपीएस मैपिंग और जियोलॉजिकल मैप्स के विषय में विस्तार से जानकारी दी।

अपने व्याख्यान में डॉ स्वर्णकार ने कंप्यूटर आधारित मानचित्र निर्माण की आधुनिक तकनीकों को सरल भाषा में समझाया। उन्होंने बताया कि वर्तमान युग में भू-स्थानिक तकनीकों (Geospatial Technologies) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो गई है, विशेषतः आपदा प्रबंधन, प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन, शहरी नियोजन एवं पर्यावरणीय अध्ययन में। उन्होंने GPS (Global Positioning System) के सिद्धांतों एवं उनकी कार्यप्रणाली के व्यावहारिक उपयोग पर प्रकाश डाला, साथ ही भौगोलिक सूचना तंत्र (GIS) और भूगर्भीय मानचित्रों की भूमिका पर भी विस्तृत चर्चा की।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार मिश्रा ने श्री स्वर्णकार के व्याख्यान की प्रशंसा करते हुए कहा कि ऐसी कार्यशालाएँ और व्याख्यान विद्यार्थियों को न केवल पाठ्यक्रम की जानकारी देते हैं, बल्कि उन्हें व्यावसायिक क्षेत्र के लिए भी तैयार करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि रिमोट सेंसिंग जैसे प्रमाण-पत्रीय पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को आधुनिक तकनीकी कौशल प्रदान करते हैं जो भविष्य में रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध करा सकते हैं।
इस शैक्षणिक सत्र में विभाग के सहायक प्राध्यापक श्री प्रशांत दुबे, डॉ. प्रीति चंद्राकर, डॉ. कृति पांडे, डॉ. वंदना यादव एवं श्रीमती ओमकुमारी की गरिमामयी उपस्थिति रही। सभी शिक्षकों ने विद्यार्थियों के साथ मिलकर तकनीकी चर्चा में भाग लिया और उन्हें विषय को गहराई से समझने हेतु प्रोत्साहित किया।
कार्यक्रम में रिमोट सेंसिंग सर्टिफिकेट कोर्स के छात्र-छात्राओं की सक्रिय भागीदारी रही। सभी विद्यार्थियों ने व्याख्यान के बाद प्रश्न पूछकर जिज्ञासाओं का समाधान किया। कार्यक्रम का समापन आभार प्रदर्शन के साथ हुआ।