
दुर्ग, 03 सितंबर 2025: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में एक हृदयविदारक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। शिवनाथ नदी में 12 वर्षीय बच्चे को डूबने से बचाने की कोशिश में 28 वर्षीय युवक योगेंद्र ठाकुर लापता हो गया। यह घटना मंगलवार शाम करीब 5 बजे पुलगांव थाना क्षेत्र में शिवनाथ नदी के पुल पर हुई। योगेंद्र की बहादुरी की चर्चा पूरे क्षेत्र में हो रही है, लेकिन उनका लापता होना परिजनों और स्थानीय समुदाय के लिए गहरा सदमा है।

घटना का विवरण: साहसिक प्रयास के बीच हादसा
जानकारी के अनुसार, मंगलवार शाम एक 12 वर्षीय बच्चा शिवनाथ नदी के पुल पर खेलते समय अचानक फिसलकर पानी में गिर गया। वहां मौजूद योगेंद्र ठाकुर और उनके एक साथी ने बिना देर किए बच्चे को बचाने के लिए नदी में छलांग लगा दी। योगेंद्र के साथी ने बच्चे को सुरक्षित किनारे तक पहुंचा दिया, लेकिन तेज बहाव में योगेंद्र नदी की धारा में बह गए। इस साहसी प्रयास ने योगेंद्र को नायक बना दिया, लेकिन उनकी जान खतरे में पड़ गई।
सर्च ऑपरेशन: तेज बहाव ने बढ़ाई मुश्किलें
घटना की सूचना मिलते ही पुलगांव पुलिस और स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स (एसडीआरएफ) की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। एसडीआरएफ जवान हबीब खान ने बताया कि नदी में पानी का दबाव और तेज बहाव सर्च ऑपरेशन में बड़ी बाधा बन रहा है। इसके बावजूद, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें पिछले 24 घंटों से लगातार योगेंद्र की खोज में जुटी हैं। नदी की गहराई और तेज धारा ने बचाव कार्य को और जटिल बना दिया है, लेकिन टीमें पूरे प्रयास के साथ काम कर रही हैं।
स्थानीय समुदाय और परिजनों का शोक
योगेंद्र के परिजन और स्थानीय ग्रामीण मंगलवार शाम से नदी किनारे डटे हुए हैं, उनकी सलामती की उम्मीद में। ग्रामीणों ने योगेंद्र की बहादुरी की जमकर सराहना की है। एक स्थानीय ग्रामीण ने कहा, “योगेंद्र ने अपनी जान की परवाह न करते हुए बच्चे को बचाया। उसका यह साहस हमें गर्व महसूस कराता है, लेकिन उसका लापता होना बहुत दुखद है।” योगेंद्र के परिवार को अभी भी उम्मीद है कि वह सुरक्षित मिलेंगे।
प्रशासन का आश्वासन: हर संभव मदद का वादा
जिला प्रशासन ने योगेंद्र के परिजनों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें दिन-रात सर्च ऑपरेशन में जुटी हुई हैं, लेकिन अभी तक योगेंद्र का कोई सुराग नहीं मिला है। प्रशासन ने बचाव कार्य को और तेज करने के निर्देश दिए हैं।
योगेंद्र की बहादुरी: प्रेरणा का प्रतीक
इस घटना ने पूरे दुर्ग जिले में शोक की लहर पैदा कर दी है, लेकिन योगेंद्र की बहादुरी ने लोगों के दिलों में उनके प्रति सम्मान बढ़ा दिया है। स्थानीय समुदाय का कहना है कि योगेंद्र ने इंसानियत की मिसाल पेश की है। उनकी इस निस्वार्थ भावना को हमेशा याद किया जाएगा।