
दुर्ग। भगवान चित्रगुप्त की उत्पत्ति ब्रम्हा की काया एवं शिव शंकर के अंर्तमन, चित्रण के फलस्वरूप हुई है, ऐसे माना जाता है। यह अवधारणा आज कायस्थ समाज दुर्ग की स्थापना के 50 वर्ष पूर्ण होने पर कायस्थ सभा भवन में आयोजित रंगारंग स्वर्ण जयंती समारोह के दौरान प्रस्तुत नृत्य नाटिका में प्रस्तुत की गयी। यह जानकारी देते हुए कायस्थ समा दुर्गे के कार्यकारी अध्यक्ष प्रोफेसर प्रशांत कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि आज डॉ. सरिता श्रीवास्तव द्वारा निर्देशित नृत्य नाटिका में भगवान शिव, पार्वती, इन्द्रदेव, इन्द्राणी, चित्रगुप्त जी. गुरु बृहस्पति एवं कामधेनु गाय की भूमिका अदा करते हुए कायस्थ जनों ने शानदार एवं मार्मिक नृत्य नाटिका प्रस्तुत की। इस नृत्य नाटिका में ध्वनि एवं शब्द संयोजन डॉ. सरिता श्रीवास्तव एवं श्री प्रशांत श्रीवास्तव पूर्व सांस्कृतिक सचिव का था। अभिनय करने वालों में आराधना खरे, सुप्रिया बर्मा, रश्मि श्रीवास्तव, अशिका श्रीवास्तव, संतोष खरे, मनीषा श्रीवास्तव शामिल थे।

इससे पूर्व भगवान चित्रगुप्त की आराधना एवं पूजन तथा गणेश वंदना के साथ आरंभ हुए स्वर्ण जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बड़ी संख्या में उपस्थित कायस्थ जनी को संबोधित करते हुए प्रसिध्द नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने कहा कि कायस्थ बुध्दि के लिए जाने जाते है। हम सभी को शासकीय नौकरी के साथ स्वरोजगार की तरफ भी ध्यान देना चाहिए। डॉ. श्रीवास्तव ने कायस्थ सभा भवन, दुर्ग के जीर्णोध्दार हेतु 1.00 लाख रूपये की राशि देने की घोषणा की। इसके साथ-साथ उन्होंने कहा कि वे कायस्थ समाज के वृध्दजनों का निःशुल्क नेत्र चिकित्सा भी करेंगे। उनके साथ मुख्य अतिथि के रूप में उनकी धर्मपत्नि एवं शासकीय वा.वा. पाटणकर कन्या महाविद्यालय, दुर्ग की प्राचार्य डॉ. रंजना श्रीवास्तव भी उपस्थित थी। मंच पर कायस्थ समाज को स्थापित करने वाले श्री कृष्ण कुमार श्रीवास्तव तथा समाज के वरिष्ठ संरक्षक श्री नंदू लाल जी श्रीवास्तव, श्री राधे श्याम श्रीवास्तव, श्री. आर. के. वर्मा तथा कार्यकारी अध्यक्ष डी. प्रशांत श्रीवास्तव उपस्थित थे। इस अवसर पर आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के पुरस्कारों का प्रायोजक श्री आर.के. वर्मा तथा श्री संजीव ब्यौहार द्वारा किया गया।

डॉ. पैसिफ़िक आर्टिस्ट ने बताया कि आज कल्चरल प्रोग्राम के अंतर्गत प्रस्तुत गणेश वंदना हर्षिता वर्मा और वंदे मातरम डांस के कलाकार अंशिका ग्रैविथ, एसोसिएट वर्मा, शिवन्या ग्रैविए और डायनिका ग्रैविटा शामिल हैं। महिलाओं द्वारा स्वागत गीत के संगीतकारों में शामिल होने वाली थीं- प्रियतमाश्री, सरोजाग्रवी, सोमाश्री अनामिका कर्ण, स्मृता बख्शी और पद्मा वर्मा। समारोह के दौरान सभी कामकाजी लोगों को शॉल एवं मेमोरी चिन्हांकित किया गया। इस अवसर पर पेटिंग प्रतियोगिता में ईशाल शास्त्री प्रथम, प्रथम गुरु द्वितीय और अक्षत वर्मा तृतीय रहे। थाली सजाओन प्रतियोगिता में मनीषा औफैक्ट प्रथम, शालिनीश्री द्वितीय और सुप्रिया बर्मा तृतीय रही। मेहदी प्रतियोगिता में मख्वाग्रग्रथ प्रथम, कौस्तुभिग्रवि द्वितीय और वंशिकाग्रैविथ तृतीय रही। रंगोली प्रतियोगिता में कविताश्री प्रथम, वंशिकासावित्र द्वितीय और नेहाकसावित्र एवं रश्मी जालोकसावित्र तृतीय रही।
उल्लेखनीय है, कि 1975 में स्थापित कायस्थ समाज दुर्ग ने 50 वर्षों की यात्रा में अनेक उपलब्धिया हासिल की। इनमें निर्धन कन्या विवाह विभिन्न महापुरुषों की जयंती मनाना, दीपावली एवं भाई दूज पर भव्य आयोजन, चित्रगुप्त प्रकट दिवस का आयोजन आदि प्रमुख है। इस दौरान उल्लेखनीय योगदान करने वालों में श्री कृष्ण कुमार श्रीवास्तम, श्री
मणिकात श्रीवास्तम, स्व.श्री कमल नारायण श्रीवास्तव, श्री नंदू लाल श्रीवास्तव, श्री राधेश्याम श्रीवास्तव, श्री आर. के. वर्मा, श्री पी.बी. सक्सेना, श्री राजीव बक्शी, श्री राकेश श्रीवास्तव, श्री महावीर प्रसाद श्रीवास्तव, श्री रघुनंदन लाल श्रीवास्तव श्री राजेश श्रीवास्तव, श्री सुमित श्रीवास्तव, श्री प्रशांत बक्ती, वी प्रशांत श्रीवास्तव, श्री राजेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, श्री संजीय ब्यौहार, श्री रजनीश श्रीवास्तव, श्री अनूप खरे, श्री अजय वर्मा, श्री अशोक श्रीवास्तव, श्री सुकेश कर्ण, श्री भूपेश श्रीवास्तव श्रीमती अनुराधा ववशी, श्रीमती प्रीति श्रीवास्तव, श्रीमती सरिता श्रीवास्तव, श्रीमती आराधना खरे, श्रीमती श्रध्या श्रीवास्तव, श्रीमती सरोज श्रीवास्तव, श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव आदि थी। स्वर्ण जयंती समारोह में स्वागत भाषण कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने दिया। धन्यवाद ज्ञापन पूर्व अध्यक्ष श्री राजेश महावीर प्रसाद श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम का संचालन पूर्व सांस्कृतिक सचिव श्री प्रशांत श्रीवास्तव एवं श्रीमती शालिनी श्रीवास्तव ने किया।


