
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के ओरछा क्षेत्र में अज्ञानता और अंधविश्वास का खौफनाक मामला सामने आया है। यूरिन इन्फेक्शन (यूटीआई) से परेशान एक युवक ने गांव के झोलाछाप डॉक्टर की सलाह पर अपने गुप्तांग में लोहे का छल्ला पहन लिया। इस खतरनाक उपाय से उसकी हालत इतनी बिगड़ गई कि संक्रमण और सूजन के चलते लिंग काटने की नौबत आ गई। हालांकि, समय रहते जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने उपचार कर उसकी जान बचा ली।
बीमारी और झोलाछाप डॉक्टर की गलत सलाह
अबूझमाड़ के ओरछा ब्लॉक के जाटलूर गांव निवासी युवक लंबे समय से पेशाब में जलन, बुखार और सिर दर्द से पीड़ित था। इलाज के लिए वह गांव के झोलाछाप डॉक्टर के पास पहुँचा। वहां सही इलाज न मिलने पर डॉक्टर ने अजीबोगरीब सलाह देते हुए कहा कि लोहे का छल्ला पहनने से समस्या दूर हो जाएगी। युवक ने सलाह मानकर गुप्तांग में छल्ला डाल लिया।
बिगड़ी तबीयत, संक्रमण फैला
शुरुआत में युवक को राहत की उम्मीद थी, लेकिन कुछ ही दिनों में गंभीर सूजन और संक्रमण फैल गया। अंगूठी फंस गई और हालत इतनी बिगड़ी कि युवक को असहनीय दर्द होने लगा। झोलाछाप डॉक्टर भी इलाज करने से पीछे हट गया।
अस्पताल में डॉक्टरों ने बचाई जान
गंभीर स्थिति में युवक पहले ओरछा स्वास्थ्य केंद्र पहुँचा, लेकिन संसाधनों की कमी से उसे जिला अस्पताल भेजा गया। जिला अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर डॉ. हिमांशु सिंह और उनकी टीम ने आपातकालीन प्रक्रिया अपनाते हुए लोहे का छल्ला सुरक्षित तरीके से निकाला और संक्रमण पर नियंत्रण पाया। डॉ. सिंह ने बताया कि थोड़ी सी भी देर होने पर युवक की जान पर बन सकती थी।
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ता झोलाछापों का खतरा
डॉक्टरों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अज्ञानता और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण लोग झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में फँस जाते हैं। ये डॉक्टर गलत दवाइयाँ और खतरनाक उपाय सुझाकर मरीज की जान जोखिम में डाल देते हैं।
समाज के लिए चेतावनी
यह घटना केवल एक युवक की परेशानी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है। बीमारी का इलाज हमेशा योग्य और प्रमाणित चिकित्सक से ही कराना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाना और झोलाछाप डॉक्टरों पर सख्त कार्रवाई करना समय की माँग है।
👉 यह घटना अंधविश्वास और जानकारी की कमी के खतरनाक नतीजों को उजागर करती है और बताती है कि गैर-जिम्मेदाराना उपाय जानलेवा साबित हो सकते हैं।