“युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूलों के सेटअप से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं”- वीरेंद्र दुबे

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रायपुर 28 अप्रैल 2025। प्रदेश के शालेय शिक्षक संघ ने स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी युक्तियुक्तकरण के नए आदेशों और मापदंडों का कड़ा विरोध किया है। संघ ने आरोप लगाया है कि शिक्षकविहीन स्कूलों में शिक्षकों की उपलब्धता का वे समर्थन करते हैं, किंतु प्राथमिक शालाओं में पाँच कक्षाओं के लिए केवल दो शिक्षकों की नियुक्ति से न केवल शिक्षा की गुणवत्ता गिरेगी, बल्कि बच्चों की सुरक्षा भी खतरे में पड़ जाएगी। इससे पालकों और शिक्षकों के बीच गहरा आक्रोश पनप रहा है।

जारी हुआ पुराना विवादित आदेश, फिर मच सकता है बवाल

आज स्कूल शिक्षा विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों के लिए स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण के संबंध में दिशा-निर्देश और समय सारणी का आदेश जारी किया है। इसमें वही 2 अगस्त 2024 का विवादित आदेश लागू किया गया है, जिसका पहले भी व्यापक विरोध हुआ था। पालकगण, ग्रामीणजन और शिक्षक संगठनों ने उस समय इस आदेश को अव्यावहारिक बताते हुए सुझाव दिए थे। हालांकि प्रक्रिया सत्र के मध्य होने के कारण स्थगित कर दी गई थी, परंतु अब यह मुद्दा एक बार फिर से उभर कर सामने आ गया है।

“स्कूलों के सेटअप से छेड़छाड़ अनुचित” : वीरेंद्र दुबे

शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा कि युक्तियुक्तकरण के नाम पर स्कूलों के मौजूदा सेटअप से अनुचित छेड़छाड़ की जा रही है। शिक्षकविहीन व एकल शिक्षक शालाओं में शिक्षकों की आवश्यकता को वे स्वीकार करते हैं, परंतु प्राथमिक शालाओं में पाँच अलग-अलग कक्षाओं के लिए सिर्फ प्रधानपाठक और एक शिक्षक छोड़ देना शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों की निगरानी पर गंभीर सवाल खड़े करता है।

उन्होंने कहा कि बच्चों की शिक्षा व सुरक्षा दोनों के साथ खिलवाड़ हो रहा है। विभाग द्वारा तय किए गए मापदंड अव्यावहारिक हैं और शिक्षक तथा बच्चों दोनों के हितों के विरुद्ध हैं। दुबे ने आरोप लगाया कि शिक्षक संगठनों द्वारा पूर्व में दिए गए सुझावों को विभाग ने पूरी तरह से अनदेखा कर दिया है और वही पुराना आदेश फिर से लागू कर दिया गया है।

“शासकीय विद्यालय बनते जा रहे प्रयोगशाला” : धर्मेश शर्मा

शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा ने कहा कि लगता है शासकीय विद्यालय अब केवल “टेबल टॉप प्रयोगशाला” बनकर रह गए हैं, जहाँ बैठकर अव्यावहारिक दिशा-निर्देश तैयार किए जाते हैं। उन्होंने कहा कि नवाचार के नाम पर लगातार नई-नई योजनाएँ और दिशानिर्देश लागू किए जा रहे हैं, जिससे विद्यालयों की पढ़ाई और उचित व्यवस्थापन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

धर्मेश शर्मा ने आगे कहा कि विद्यालयों के मौजूदा सेटअप को दरकिनार कर युक्तियुक्तकरण करना प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को चौपट कर देगा। प्राथमिक शालाएँ केवल मध्यान्ह भोजन केंद्र बनकर रह जाएँगी। पाँच कक्षाओं के लिए केवल दो शिक्षकों की उपलब्धता और उस पर अतिरिक्त गैर-शैक्षणिक कार्यभार जैसे ऑनलाइन कार्य, सर्वेक्षण, चुनाव, जनगणना आदि थोपे जाने से शिक्षकों पर अत्यधिक दबाव पड़ेगा, जिससे बच्चों की शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

“बिना चर्चा के बनाए गए अव्यावहारिक नियम” : तिवारी और शर्मा

संघ के कार्यकारी प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी और प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा ने आरोप लगाया कि युक्तियुक्तकरण के दिशा-निर्देशों को शिक्षक संगठनों से संवाद किए बिना जारी कर दिया गया। उनका कहना था कि यदि संगठनों से पूर्व में चर्चा की जाती तो इतने अव्यावहारिक नियम बनते ही नहीं।

उन्होंने बताया कि मिडिल स्कूलों में भर्ती के समय विषय बंधन को हटाकर भर्ती की गई थी, लेकिन अब युक्तियुक्तकरण में विषय के आधार पर शिक्षकों को अतिशेष घोषित किया जा रहा है। हायर सेकेंडरी स्कूलों में जहाँ अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं, वहाँ नियमित व्याख्याताओं को अतिशेष घोषित करना हास्यास्पद निर्णय है। उन्होंने इसे “मकान मालिक को घर से बेदखल करने” जैसा करार दिया।

संघ पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि जिन गाँवों के स्कूल बंद होंगे, वहाँ ग्रामीणों के भारी आक्रोश का सामना करना पड़ेगा। स्कूल सेटअप के अनुरूप शिक्षक मौजूद होने के बावजूद यदि शिक्षकों को अतिशेष मानकर स्थानांतरित किया गया, तो पालक संगठन भी तीव्र विरोध करेंगे।

संघ की सरकार से मांग

शालेय शिक्षक संघ के प्रांतीय पदाधिकारी सुनील सिंह, विष्णु शर्मा, डॉ. सांत्वना ठाकुर, सत्येंद्र सिंह, विवेक शर्मा, गजराज सिंह, राजेश शर्मा, शैलेन्द्र सिंह, प्रह्लाद जैन, संतोष मिश्रा, संतोष शुक्ला, शिवेंद्र चंद्रवंशी, दीपक वेंताल, यादवेंद्र दुबे, नंद कुमार अठभैया, सर्वजीत पाठक, मंटू खैरवार, पवन दुबे, भोजराम पटेल, विनय सिंह, उपेंद्र सिंह, आशुतोष सिंह, भानु डहरिया, रवि मिश्रा, जितेंद्र गजेंद्र, कैलाश रामटेके, अजय वर्मा, कृष्णराज पांडेय, घनश्याम पटेल, बुद्धेश्वर शर्मा, प्रदीप पांडेय, देवव्रत शर्मा, अब्दुल आसिफ खान, अमित सिन्हा, विक्रम राजपूत, द्वारिका भारद्वाज, खेमन साहू, सुशील शर्मा, शशि कठोलिया, विजय बेलचंदन, अशोक देशमुख और तिलक सेन आदि ने एकमत से मांग की है कि विवादित और अव्यावहारिक नियमों को तुरंत विलोपित अथवा संशोधित किया जाए। साथ ही, युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया को शिक्षक संगठनों और पालक संगठनों से व्यापक चर्चा कर ही आगे बढ़ाया जाए, ताकि शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखा जा सके।

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