हाईकोर्ट ने कहा कर्मचारी से अतिरिक्त भुगतान की वसूली अस्वीकार्य

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वसूली की गई राशि वापस करने निर्देश

बिलासपुर।हाईकोर्ट के जस्टिस एके प्रसाद ने कर्मचारी से त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण पर जारी वसूली आदेश के खिलाफ पेश याचिका में महत्वपूर्ण निर्णय पारित किया है। कोर्ट ने कहा कर्मचारी से अतिरिक्त भुगतान की वसूली अस्वीकार्य है, जहां अतिरिक्त भुगतान गलत बयानी, धोखाधड़ी या कर्मचारी की गलती के कारण नहीं बल्कि नियोक्ता की गलती के कारण हुआ हो। कर्मचारी को नियोक्ता द्वारा की गई गलती के लिए दंडित नहीं किया जा सकता।

इसके साथ कोर्ट ने याचिकाकर्ता से जारी वसूली आदेश को रद्द कर वसूली गई राशि वापस करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता गोपाल प्रसाद नायक को 1996 में व्याख्याता के रूप में नियुक्त किया गया था। बाद में उसे शासकीय पॉलिटेक्निक महाविद्यालय जांजगीर-चांपा में प्राचार्य के पद पर पदोन्नत किया गया, जहां वह अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर रहा है।

21 दिसंबर 2022 के आदेश द्वारा निदेशक तकनीकी शिक्षा नया रायपुर ने विवादित आदेश पारित किया, जिसमें याचिकाकर्ता को वर्ष 2006 से किए गए कथित अतिरिक्त भुगतान की वसूली का निर्देश दिया गया और वेतन निर्धारण में संशोधन भी किया गया। निदेशक तकनीकी शिक्षा द्वारा जारी वसूली आदेश के खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अधिवक्ता दीक्षा गौरहा के माध्यम से याचिका पेश की।

याचिका में जस्टिस एके प्रसाद की बेंच में सुनवाई हुई। उन्होंने ने अपने आदेश में कहा निर्धारण में कोई भी त्रुटि पूरी तरह से प्रतिवादियों की ओर से है और 16 वर्षों के बाद वसूली मनमाना, दुर्भावनापूर्ण और कानूनन अधारणीय है।

याचिकाकर्ता की अपने वेतन निर्धारण में कोई भूमिका नहीं थी। रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है जिससे दूर-दूर तक यह पता चले कि याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को गुमराह करने में कोई भूमिका निभाई थी या वह धोखाधड़ी, गलत बयानी या महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाने का दोषी था। किसी भी स्तर पर उसे यह नहीं बताया गया कि ऐसा निर्धारण त्रुटिपूर्ण था या वह कथित अतिरिक्त भुगतान वापस करने के लिए उत्तरदायी हो सकता है।

याचिकाकर्ता पर दायित्व थोपना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण और निष्पक्षता, समता और अच्छे विवेक के सिद्धांतों के विपरीत है। इसके साथ कोर्ट ने निदेशक तकनीकी शिक्षा द्वारा जारी वसूली आदेश को रद्द किया है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से वसूली गई राशि आदेश प्राप्त होने की तिथि से तीन माह के अंदर लौटने का आदेश दिया है।

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