
नई दिल्ली । डेस्क: वित्त मंत्रालय ने बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण बदलाव की घोषणा की है, जो ग्राहकों के लिए राहत लेकर आया है. अब देश के किसी भी बैंक खाते में आप चार नामित व्यक्तियों (नॉमिनी) का नाम दर्ज करा सकेंगे. यह नया प्रावधान 1 नवंबर 2025 से प्रभावी हो जाएगा. मंत्रालय के अनुसार, यह नियम जमा खातों के साथ-साथ सेफ कस्टडी आर्टिकल्स और सेफ्टी लॉकरों पर भी लागू होगा. इसका मुख्य उद्देश्य बैंकिंग व्यवस्था में एकरूपता सुनिश्चित करना और दावों के निपटारे की प्रक्रिया को सरल बनाना है. इस बदलाव को 15 अप्रैल 2025 को आधिकारिक रूप से अधिसूचित किया गया था.
ग्राहक अपनी सुविधा के अनुसार नामांकन का तरीका चुन सकेंगे. चाहे सभी चार नामित व्यक्ति एक साथ सक्रिय हों या ‘वन बाय वन’ के क्रम में – यानी एक नामित की मृत्यु के बाद ही अगला सक्रिय हो. हर नामांकन के लिए ग्राहक हिस्सेदारी या प्रतिशत निर्धारित कर सकेंगे, बशर्ते कुल योग 100 प्रतिशत हो. इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि संपत्ति का वितरण भी अधिक न्यायोचित ढंग से हो सकेगा. विशेषज्ञों का मानना है कि यह सुधार डिपॉजिट क्लेम की प्रक्रिया को तेज और कम जटिल बना देगा, जिससे उत्तराधिकारियों को तत्काल राहत मिलेगी.
हालांकि, सेफ्टी लॉकर और सेफ कस्टडी के मामलों में केवल ‘वन बाय वन’ नामांकन की अनुमति रहेगी. नामांकन रद्द करना या बदलना भी अब आसान हो जाएगा. यदि नामांकन में क्रम स्पष्ट न हो, तो नामों के आधार पर ही प्राथमिकता तय की जाएगी. ग्राहक अपनी पसंद के अनुसार नामित व्यक्ति चुन सकेंगे. बैंकिंग संस्थानों को जल्द ही नामांकन से जुड़े विस्तृत दिशा-निर्देश जारी करने होंगे, जिसमें प्रक्रिया, फॉर्मेट और रद्दीकरण के तरीकों का स्पष्ट उल्लेख होगा. इससे ग्राहकों को नई व्यवस्था को अपनाने में कोई असुविधा न हो.
यह कदम बैंकिंग सेवाओं को और अधिक ग्राहक-केंद्रित बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है. विशेषज्ञों की सलाह है कि ग्राहक तुरंत अपने बैंक से संपर्क कर नामांकन की स्थिति की समीक्षा कर लें, ताकि 1 नवंबर से पहले सब कुछ व्यवस्थित हो सके.
बैंक खातों में नामांकन के कानूनी पहलू: एक सरल व्याख्या
नामांकन (Nomination) बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कानूनी व्यवस्था है, जो खाता धारक की मृत्यु के बाद उसके धन या संपत्ति को त्वरित रूप से नामित व्यक्ति (नॉमिनी) को हस्तांतरित करने की सुविधा प्रदान करती है. यह प्रक्रिया वसीयत (Will) या उत्तराधिकार कानूनों से अलग है, क्योंकि नामांकन केवल एक अस्थायी व्यवस्था है. इसका मुख्य उद्देश्य परिवार या उत्तराधिकारियों को तत्काल वित्तीय सहायता उपलब्ध कराना है, बिना लंबी कानूनी प्रक्रियाओं के. भारत में यह व्यवस्था बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, 1949 की धारा 45ZA से 45ZF तक विनियमित होती है. इन प्रावधानों के तहत बैंक नामित व्यक्ति को धनराशि या संपत्ति का भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य होते हैं, भले ही अन्य उत्तराधिकारी दावा करें.
नामांकन के प्रमुख कानूनी सिद्धांत
नामांकन का अधिकार और प्रकृति: खाता धारक (डिपॉजिटर) किसी भी व्यक्ति को नामित कर सकता है, जो वयस्क हो. नामांकन एक वैकल्पिक सुविधा है, लेकिन एक बार दर्ज होने पर यह खाते से जुड़ जाता है. कानूनी रूप से, नामांकित व्यक्ति केवल एक ट्रस्टी (विश्वासाधीन) होता है, जो अंततः वास्तविक उत्तराधिकारियों (जैसे कानूनी वारिस) को संपत्ति सौंपने का दायित्व रखता है. यह इंडियन सक्सेशन एक्ट, 1925 या हिंदू उत्तराधिकार कानूनों से प्रभावित होता है, लेकिन नामांकन प्रक्रिया को सरल रखता है.
भुगतान की कानूनी सुरक्षा: बैंकिंग एक्ट की धारा 45ZA के अनुसार, बैंक नामित व्यक्ति को भुगतान करने के बाद किसी अन्य दावे से मुक्त हो जाते हैं. यह बैंक को संरक्षण प्रदान करता है, लेकिन नामित व्यक्ति को बाद में अन्य वारिसों के दावों का सामना करना पड़ सकता है. सुप्रीम कोर्ट के फैसलों (जैसे शकुंतला देवी बनाम के.एस. देवराज, 2017) में स्पष्ट किया गया है कि नामांकन उत्तराधिकार का विकल्प नहीं है, बल्कि केवल सुविधा है.
रद्दीकरण और संशोधन: खाता धारक किसी भी समय नामांकन रद्द या बदल सकता है, बिना पूर्व नामित की सहमति के. यह प्रक्रिया लिखित रूप (फॉर्म) से की जाती है, और बैंक को सूचित करना अनिवार्य है. कानूनी रूप से, पुराना नामांकन स्वतः समाप्त हो जाता है.
2025 के नए संशोधन: Banking Laws (Amendment) Act, 2025
1 नवंबर 2025 से लागू होने वाले इस एक्ट के तहत नामांकन नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, जो आरबीआई की अधिसूचना (2025-26/82) पर आधारित हैं. ये बदलाव जमा खातों, सेफ कस्टडी आर्टिकल्स और सेफ्टी लॉकरों पर लागू होंगे.
सीमाएं: नामांकन केवल बैंकिंग संपत्ति तक सीमित है; अन्य संपत्तियों (जैसे प्रॉपर्टी) के लिए अलग कानून लागू होते हैं. नामित व्यक्ति का दायित्व कानूनी रूप से सीमित है – वह केवल प्राप्त धन का ट्रस्टी है.
विवादों से बचाव: नामांकन के साथ-साथ वसीयत बनाना उचित है, ताकि कानूनी विवाद न हों.
कार्रवाई: यदि आपका खाता पुराना है, तो तुरंत बैंक से संपर्क कर नामांकन अपडेट करें. 1 नवंबर 2025 के बाद नए फॉर्म उपलब्ध होंगे.

