छत्तीसगढ़ में ‘गौधाम’ योजना लागू, चरवाहों को मानदेय और चारा के लिए बजट

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'Gau Dham' scheme implemented in Chhattisgarh, honorarium to shepherds and budget for fodder

रायपुर। आवारा और निराश्रित गौवंशों की मौत की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘गौठान’ की जगह अब ‘गौधाम’ बनाने का फैसला लिया है। वित्त विभाग ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और पशुधन विकास विभाग ने जिलों को आदेश जारी कर दिए हैं। हाल ही में सड़क हादसों में बड़ी संख्या में गायों की मौत के बाद सरकार ने यह कदम उठाया।

गौधाम में केवल निराश्रित, घुमंतू और जब्त गौवंश रखे जाएंगे। शासकीय भूमि पर सुरक्षित बाड़ा, पशु शेड, पानी-बिजली और चारागाह की सुविधा होगी। संचालन के लिए पंजीकृत गौशाला समितियों को प्राथमिकता दी जाएगी, अन्यथा NGO, ट्रस्ट या सहकारी समितियों को मौका मिलेगा। चयन का आधार गौसेवा, नस्ल सुधार, जैविक खाद और प्रशिक्षण का अनुभव होगा।

गौधाम छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग नियम 2005 के तहत स्थापित होंगे और पंजीकृत गौशालाओं से अलग होंगे। पहले चरण में ये राष्ट्रीय राजमार्ग के पास के ग्रामीण इलाकों में बनाए जाएंगे, ताकि सड़क हादसों में मवेशियों की मौत रोकी जा सके। प्रत्येक गौधाम में अधिकतम 200 पशु रहेंगे।

सरकार इन केंद्रों को गौ-आधारित उत्पाद, चारा विकास, नस्ल सुधार और प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकसित करेगी, जिससे स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिलेगा। संचालन की निगरानी जिला और ब्लॉक समितियां करेंगी। उत्कृष्ट संचालन पर प्रति पशु प्रतिदिन 20 से 35 रुपये तक अनुदान मिलेगा।

संस्थाओं का चयन ‘रुचि की अभिव्यक्ति’ (EOI) के आधार पर होगा और न्यूनतम 5 वर्ष का गौसेवा अनुभव, नस्ल सुधार व संचालन में 3 वर्ष का अनुभव आवश्यक होगा। आदेश लागू होते ही जमीन चयन और संचालन समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

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