छत्तीसगढ़ में BJP-RSS कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट, 

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दंतेवाड़ा, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट की घटना हुई है। इस घटना से जुड़े दो वीडियो कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया पर वायरल किए हैं, जिसमें बीजेपी और आरएसएस के नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। कांग्रेस ने इन वीडियो के साथ लिखा, “सत्ता का अहंकार देखिए, बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के बजाय, बीजेपी और आरएसएस के नेता आपस में झगड़ रहे हैं। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि शासन, प्रशासन और बीजेपी कितना गंभीर है।”

घटना का विवरण
दंतेवाड़ा में हुई इस घटना ने स्थानीय राजनीति में हलचल मचा दी है। जानकारी के अनुसार, बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं के बीच किसी बात को लेकर विवाद शुरू हुआ, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गया। इस घटना के वीडियो में कार्यकर्ताओं के बीच तीखी नोकझोंक और हाथापाई की स्थिति साफ तौर पर देखी जा सकती है। यह घटना उस समय हुई, जब छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में बाढ़ ने तबाही मचाई हुई है और लोग राहत कार्यों की उम्मीद कर रहे हैं।

कांग्रेस का हमला
कांग्रेस पार्टी ने इस घटना को बीजेपी की कार्यशैली पर सवाल उठाने का मौका बनाया है। पार्टी ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए बीजेपी पर तंज कसा और कहा कि सत्ता के नशे में चूर बीजेपी और आरएसएस के नेता जनता की मदद करने के बजाय आपस में लड़ रहे हैं।, “सत्ता का अहंकार देखिए, बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के बजाय, बीजेपी और आरएसएस के नेता आपस में झगड़ रहे हैं।”

बीजेपी की प्रतिक्रिया
इस मामले में अभी तक बीजेपी की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि बीजेपी इस घटना को आंतरिक विवाद का मामला बता सकती है और इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए कांग्रेस पर पलटवार कर सकती है। दंतेवाड़ा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह की घटना से बीजेपी की छवि पर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्यों की मांग जोरों पर है।

बाढ़ प्रभावितों की अनदेखी?
छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। हजारों लोग बेघर हो गए हैं और राहत कार्यों में देरी की शिकायतें सामने आ रही हैं। ऐसे में बीजेपी और आरएसएस के कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट की यह घटना जनता के बीच गलत संदेश दे रही है। कांग्रेस ने इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की है और इसे बीजेपी सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाने का हथियार बनाया है।

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