
रायपुर 14 अक्टूबर 2025। राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी सौम्या चौरसिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज आय से अधिक संपत्ति के मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बड़ी कार्रवाई की है। ब्यूरो ने 14 अक्टूबर 2025 को रायपुर स्थित माननीय विशेष न्यायालय (ब्र.नि.अ) में लगभग 8,000 पन्नों का चालान (चार्जशीट) पेश किया है। जांच में सामने आया है कि सौम्या चौरसिया ने अपने नाम और परिजनों के नाम पर लगभग 50 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की, जो उनकी वैध आय से 1872% अधिक है।
EOW ने अपराध क्रमांक 22/2024 के तहत सौम्या चौरसिया पर धारा 13(1)(बी) एवं 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018) के अंतर्गत मामला दर्ज किया था। जांच में यह पाया गया कि उन्होंने सरकारी पद पर रहते हुए अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए भारी मात्रा में अवैध आय अर्जित कर उसे अचल संपत्तियों में निवेश किया।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, सौम्या चौरसिया ने अपने परिवार और अन्य परिचितों के नाम पर लगभग 45 बेनामी अचल संपत्तियों में निवेश किया। इन संपत्तियों की कुल कीमत ₹49,69,48,298 (उनचास करोड़ उनहत्तर लाख अड़तालीस हजार दो सौ अट्ठानवे रुपये) बताई गई है।
सेवाकाल और वैध आय का तुलनात्मक विश्लेषण:
सौम्या चौरसिया राज्य प्रशासनिक सेवा (2008 बैच) की अधिकारी हैं। उनकी पहली पदस्थापना डिप्टी कलेक्टर, बिलासपुर कलेक्टर कार्यालय में हुई थी। इससे पहले वर्ष 2005 में वे लेखाधिकारी (Account Officer) के रूप में कार्यरत थीं। वर्ष 2019 में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में उप सचिव (Deputy Secretary) के पद पर पदस्थ किया गया था।
17 वर्ष के पूरे सेवाकाल में सौम्या चौरसिया एवं उनके परिवार की वैध आय लगभग ₹2,51,89,175 (दो करोड़ इक्यावन लाख नवासी हजार एक सौ पचहत्तर रुपये) पाई गई। वहीं जांच में यह स्पष्ट हुआ कि उन्होंने लगभग ₹50 करोड़ रुपये की अवैध संपत्ति अर्जित की, जो उनकी वैध आय से 1872.86% अधिक है।
भ्रष्टाचार और कोयला प्रकरण से संबंध:
EOW की जांच में यह भी सामने आया है कि सौम्या चौरसिया का नाम कोयला परिवहन, DMF (District Mineral Foundation) और अन्य विवादास्पद प्रकरणों में भी जुड़ा रहा है। इन मामलों में भ्रष्टाचार के माध्यम से अर्जित धन को उन्होंने अचल संपत्तियों में निवेश किया। ब्यूरो के अनुसार, 2019 से 2022 के बीच उन्होंने अवैध आय का सबसे अधिक उपयोग संपत्तियों की खरीद में किया।
इतिहास का सबसे बड़ा मामला:
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के अधिकारियों ने बताया कि यह प्रकरण अब तक के इतिहास का सबसे बड़ा आय से अधिक संपत्ति का मामला है। ब्यूरो ने विस्तृत जांच के बाद करीब 8,000 पृष्ठों का अभियोग पत्र तैयार किया है, जिसमें सभी वित्तीय लेनदेन, संपत्तियों के विवरण, बैंक रिकॉर्ड और गवाहों के बयान शामिल हैं।