
इनोवेशन और तेजी से हो रहे परिवर्तनों के इस दौर में अपने ज्ञान और कौशल को लगातार प्रासंगिक बनाए रखें : डॉ संजय तिवारी कुलपति
दुर्ग।शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के भौतिक शास्त्र विभाग में उन्नत प्रौद्योगिकियों में उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। उदघाटन सत्र के मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डॉ संजय तिवारी हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग, डॉ एन पी दीक्षित पूर्व कुलपति एवं अध्यक्ष जम्मू कश्मीर अध्ययन शाला छत्तीसगढ़ प्रान्त, महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अजय कुमार सिंह और विभागाध्यक्ष डॉ जगजीत कौर सलूजा द्वारा सरस्वती वंदना एवं राज्य गीत के साथ प्राम्भ हुआ।
मुख्य अतिथि माननीय कुलपति डॉ संजय तिवारी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्हें लगातार ज्ञान-विज्ञान कौशल और इनोवेशन से लैस रहने की सलाह दी। इस क्रम में में उन्होंने अपने अनुभवों को प्रेरक कहानियो के माध्यम से बताया कि किस प्रकार विद्यार्थी नवाचार कर सकते है और भविष्य में सफलताएं प्राप्त कर सकते है । माननीय कुलपति ने कहा कि नित नए इनोवेशन और तेजी से हो रहे परिवर्तनों के इस दौर में अपने ज्ञान और कौशल को लगातार प्रासंगिक बनाए रखें यह एक चुनौती भी है और अवसर भी। इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से स्वरोजगार अपनाने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए केंद्र व राज्य सरकार द्वारा अनेक कदम उठाए गए हैं। इन अवसरों का समुचित उपयोग करते हुए जॉब क्रियेटर बनें। जिज्ञासा उत्साह और सतर्कता के साथ अपने ज्ञान कौशल और बुद्धि का सदैव विकास करने वाले व्यक्ति के लिए अपार अवसर उपलब्ध हैं। हम एक असाधारण समय में रह रहे हैं तकनीक अभूतपूर्व गति से आगे बढ़ रही है । हमारे जीने काम करने और बातचीत करने के तरीके को बदल रही है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता से लेकर डेटा एनालिटिक्स तक रोबोटिक्स से लेकर इंटरनेट सत्रों प्रदर्शनों और व्यावहारिक गतिविधियों के माध्यम से प्रतिभागियों को उन उपकरणों और तकनीकों का सीधा अनुभव प्राप्त होगा जो भविष्य के कार्यस्थल को आकार देगा ।

पूर्व कुलपति एवं अध्यक्ष जम्मू कश्मीर अध्ययन शाला छत्तीसगढ़ प्रान्त डॉ एन पी दीक्षित ने बताया हम नवाचार और समस्या-समाधान को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। तकनीक का अर्थ तभी है जब इसका उपयोग वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने के लिए किया जाए। केस स्टडीज़ की जाँच चर्चाओं में भाग लेने और विचारों पर विचार-मंथन करके हम प्रतिभागियों को रचनात्मक रूप से सोचने और यह पता लगाने के लिए प्रेरित करना चाहते हैं कि ये तकनीकें स्वास्थ्य सेवा शिक्षा पर्यावरण, व्यवसाय और शासन जैसे क्षेत्रों में कैसे योगदान दे सकती हैं। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया कि कोई व्यक्ति साधारण वस्तुओं में अपनी बुद्धि और नवचार का उपयोग करके उसको व्यापारिक बनाकर उससे अर्जित कर सकता है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि यह कार्यशाला सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देना चाहती है। जब विभिन्न पृष्ठभूमि के लोग एक साथ आते हैं तो अक्सर महान विचार सामने आते हैं। टीमवर्क, नेटवर्किंग और विशेषज्ञों के साथ बातचीत के ज़रिए एक-दूसरे से सीखने का मौका मिलेगा।बड़ा लक्ष्य निरंतर सीखने की मानसिकता को पोषित करना है। तकनीक निरंतर विकसित होती रहेगी आज की सफलता जल्द ही कल की खोज से बदल जाएगी। जीवन भर अनुकूलनशील जिज्ञासु और सीखने के लिए प्रतिबद्ध रहने की क्षमता हमें वास्तव में सशक्त बनाएगी ।

विभागाध्यक्ष डॉ जगजीत कौर सलूजा ने अपनी बात अल्बर्ट आइंस्टीन के एक विचार मानव आत्मा को तकनीक पर विजय प्राप्त करनी चाहिए से प्राम्भ करते हुए कहा तकनीक शक्तिशाली तो है लेकिन अंततः इसका बुद्धिमानी से, रचनात्मक रूप से और व्यापक हित के लिए उपयोग करना हमारी ज़िम्मेदारी है। इस कार्यशाला का उद्देश्य उभरती हुई तकनीकों से परिचित कराना और प्रतिभागियों को उनके सिद्धांतों क्षमता और अनुप्रयोगों की स्पष्ट समझ प्रदान करना है। ऐसा करके हम जटिल अवधारणाओं को सरल बनाना चाहते हैं और उन्हें सभी स्तरों के शिक्षार्थियों के लिए सुलभ बनाना चाहते हैं। हमारा उद्देश्य व्यावहारिक कौशल विकसित करना है। इस कार्यशाला मैं आप सभी प्रश्न पूछें, अपनी अंतर्दृष्टि साझा करें और अपने कम्फर्ट ज़ोन से बाहर निकलने के लिए खुद को चुनौती दें। यह कार्यशाला भी सिर्फ़ एक उपकरण है असली शक्ति इस बात में निहित है कि आप प्रतिभागी यहाँ सीखी गई बातों को कैसे लागू करते हैं।
कार्यशाला का कुशल संचालन डॉ कुसुमांजलिदेशमुख द्वारा किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने ने महाविद्यालय के सभी प्राध्यापकों का योगदान रहा।