कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग में गौमाता के गोबर से बनी पर्यावरण अनुकूल गणेश प्रतिमा

Spread the love

दुर्ग। प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी कामधेनु पंचगव्य अनुसंधान एवं विस्तार केंद्र, अंजोरा, दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग में गौमाता के गोबर से विशुद्ध रूप से गोबर एवं प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके भगवान गणेश की मूर्ति तैयार की गई है। मूर्ति का निर्माण डॉ राकेश मिश्र के देखरेख में हो रहा ह

डॉ मिश्र ने बताया कि इस मूर्ति की विशेषता यह है कि यह पूर्णतः पर्यावरण अनुकूलित है अर्थात इसके उपयोग के बाद इस मूर्ति को अगर किसी जलाशय या घर के गमले में विसर्जित किया जाएगा तो रासायनिक पदार्थों की शून्यता के कारण किसी प्रकार के जलीय जीव जन्तु एवं फसलों, साग सब्जियों पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ेगा। यदि कोई बच्चा भी प्रत्यक्ष रूप से इस मूर्ति के संपर्क में अर्थात उसे चाट लेता है तो भी बच्चे पर विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।

संस्थान के निदेशक डॉ संजय शाक्य ने इस विशुद्ध मूर्ति निर्माण पर विशेष ध्यान आकर्षित किया है कि जन सामान्य को भगवान की पूजा के साथ पर्यावरण की पूजा भी हो अर्थात पर्यावरण को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो। विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर आर बी सिंह ने इस कार्य को सराहा है और विश्विद्यालय के सभी स्टाफ को बोला है कि यदि वो भगवान गणेश जी की प्रतिमा अपने घर में रखते है तो इस विशुद्ध गौमय से निर्मित प्रतिमा को क्रय करें और पर्यावरण की रक्षा करें। संस्थान में निर्मित यह प्रतिमा बाजार में उपस्थित गणेश की प्रतिमा से किफायती दर में उपलब्ध है। यह प्रतिमा कामधेनु पंचगव्य संस्थान में उपलब्ध है आप इसे संस्थान में आकर क्रय कर सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× How can I help you?