दुर्ग: सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी की आत्महत्या ने उजागर की स्वास्थ्य प्रणाली की संवेदनहीनता, संघों ने उठाई आवाज
दुर्ग, छत्तीसगढ़।
जिले में एक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (CHO) की आत्महत्या ने पूरे राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं। अफसरों की मानसिक प्रताड़ना, अत्यधिक कार्यभार, आर्थिक असुरक्षा और प्रशासनिक उपेक्षा ने एक युवा अधिकारी की जिंदगी लील ली। यह घटना केवल एक कर्मचारी की मृत्यु नहीं, बल्कि व्यवस्था की विफलताओं की चीख है।
मृतक CHO एक साल के मासूम बच्चे की मां थी। महज एक माह पहले उसने सड़क दुर्घटना में अपने पति को खो दिया था। मानसिक और पारिवारिक आघात से जूझते हुए उसने छुट्टी की मांग की, मगर उसे अनसुना कर दिया गया। वह दुर्ग से दूर एक स्वास्थ्य केंद्र में अकेली सेवाएँ देती रही, जहाँ न कोई सहकर्मी था, न कोई सामाजिक या मानसिक सहयोग।
पति की मृत्यु के बाद केंद्र के अस्थायी बंद होने को लेकर सुशासन पर्व में उस पर झूठी शिकायतें की गईं, जिसके चलते उसे उच्चाधिकारियों की फटकार और दबाव का सामना करना पड़ा। स्थिति और गंभीर तब हुई जब उसका एक माह का वेतन, तीन माह का कार्य आधारित भुगतान और केंद्र का फंड रोक दिया गया। हाल ही में जारी TOR के तहत उस पर चार कर्मचारियों का कार्यभार थोप दिया गया। दो दिन पहले वेतन कटौती की धमकी ने उसकी रही-सही उम्मीद भी तोड़ दी।
संघों ने बताया – यह मौत एक मां की नहीं, व्यवस्था की हार है
छत्तीसगढ़ राज्य एनएचएम कर्मचारी संघ और सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी संघ संयुक्त ने इस घटना को स्वास्थ्य व्यवस्था की क्रूरता और संविदा शोषण का परिणाम बताया है। उन्होंने स्पष्ट कहा, “यह मौत एक मां की नहीं, पूरी व्यवस्था की हार है।”