नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने 9 माह से लंबित CRMC प्रोत्साहन राशि को लेकर विरोध जताते हुए जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम कार्य कुछ समय के लिए बंद रखा। स्वास्थ्यकर्मियों ने चेतावनी दी है कि यदि भुगतान नहीं हुआ तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

नारायणपुर, 24 सितंबर 2025। नक्सल प्रभावित जिलों में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों की नाराजगी आखिरकार खुलकर सामने आ गई है। नारायणपुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने मंगलवार को बड़ा कदम उठाते हुए करीब 2 से 3 घंटे तक पोस्टमार्टम कार्य ठप कर दिया। यह विरोध प्रदर्शन पिछले 9 माह से लंबित CRMC (Critical Resource Mobilization Component) यानी नक्सल क्षेत्र प्रोत्साहन भत्ता के भुगतान को लेकर किया गया।
स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि वे लगातार अत्यंत कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं। नक्सल घटनाओं के बाद पोस्टमार्टम करना, सड़कविहीन इलाकों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाना, और बम धमकी वाले क्षेत्रों में ग्राउंड-लेवल ट्रायजिंग जैसे जोखिम भरे कार्य उनके दायित्व का हिस्सा हैं। इसके बावजूद उन्हें बीते नौ महीनों से प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं हुआ है।
डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ ने इस मौके पर प्रदेश सरकार से पूछा कि अब तक इस भुगतान में देरी क्यों हो रही है। स्वास्थ्यकर्मियों का कहना है कि समीपवर्ती कोंडागांव जिले में मार्च 2025 तक की प्रोत्साहन राशि का भुगतान हो चुका है, लेकिन नारायणपुर जैसे सबसे संवेदनशील जिले को बार-बार नज़रअंदाज़ किया जा रहा है।
गौरतलब है कि नारायणपुर जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने इस मुद्दे पर कई बार ज्ञापन सौंपे हैं। 7 अगस्त 2025 को स्वास्थ्य मंत्री और स्वास्थ्य सचिव के जिला दौरे के दौरान भी कर्मचारियों ने ज्ञापन सौंपा था, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। कर्मचारियों का कहना है कि यह अनदेखी उनके मनोबल को प्रभावित कर रही है।
विरोध प्रदर्शन के दौरान स्वास्थ्यकर्मियों ने प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि जल्द ही लंबित राशि का भुगतान नहीं किया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा और इसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। उन्होंने यह भी कहा कि उनका विरोध केवल अपने हक की मांग को लेकर है, जिससे उनकी सेवाएं बेहतर ढंग से संचालित हो सकें।
जिला अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ के इस कदम से स्थानीय प्रशासन भी सक्रिय हो गया है। चर्चा है कि जल्द ही जिला स्तर से इस मामले की रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी जाएगी। फिलहाल स्वास्थ्यकर्मी अपने भुगतान की मांग को लेकर एकजुट हैं और आगे की रणनीति बनाने में जुटे हैं।