छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के निजी स्कूलों में बच्चों के साथ हो रही प्रताड़ना की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। आयोग ने सभी जिला कलेक्टरों और जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर बाल अधिकार आयोग अधिनियम 2005 की धाराओं के तहत इन निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने को कहा है।
जिला शिक्षा अधिकारी अनिल तिवारी ने बताया कि आयोग को शिकायतें मिली हैं कि कुछ निजी स्कूलों में फीस न भरने या अभिभावकों से विवाद की स्थिति में बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप से हटाया जा रहा है या अन्य प्रकार से प्रताड़ित किया जा रहा है। इस पर संज्ञान लेते हुए, आयोग ने सभी स्कूलों को निर्देशित किया है कि वे बच्चों के साथ किसी भी प्रकार का अपमानजनक व्यवहार न करें।
डीईओ ने स्कूल प्रबंधन से कहा है कि ऐसी परिस्थितियों में संयम और सम्मानपूर्वक अभिभावकों से संवाद स्थापित करें और किसी भी स्थिति में बच्चों को मानसिक या सामाजिक रूप से प्रताड़ित न करें। यह निर्देश बाल अधिकार आयोग अधिनियम 2005 की धारा 13(घ) व (च) तथा धारा 15 के तहत जारी किए गए हैं।
पत्र में तीन मुख्य निर्देश दिए गए हैं:
- स्कूल फीस नहीं भर पाने की स्थिति में बच्चों को पढ़ाई से वंचित न किया जाए।
- बच्चों को कक्षा से निकालना या मानसिक रूप से प्रताड़ित करना बाल अधिकारों का उल्लंघन है।
- पालकों से शुल्क को लेकर उचित व्यवहार और संवाद सुनिश्चित किया जाए।
