
दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग के हिंदी विभाग द्वारा रूसा(2.0) योजना अंतर्गत व्याख्यान का आयोजन किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.अजय कुमार सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ की माटी की सोंधी सुगंध हमें गांव में ही मिलती है। छत्तीसगढ़ी गीतों में परंपराएं और नैतिकता का पाठ हमें देखने और सुनने को मिलता है ।आज के समय में आधुनिकता तेजी से बढ़ रही है ऐसे समय में लोक संस्कृति की पहचान बनाए रखना ही हमारा नैतिक दायित्व होगा। लोक संस्कृति का ज्ञान हमें ग्रामीण परिवेश में ही जीवंत मिलता है।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. पीसीलाल यादव, ‘छत्तीसगढ़ी लोक कथाओं एवं लोक गाथाओं में युगीन चेतना ‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि हमारे वेद और शास्त्र, लोक से प्रेरणा लेकर ही बना है। छत्तीसगढ़ी लोक कथाओं में एवं लोक गाथाओं में मानवीय मूल्य, प्रेम ,करुणा, दया ,समता एवं सद्भावना जैसी शाश्वत चेतना का संचार होता है। यही युगीन चेतना का स्वर लोक कथाओं में दिखलाई पड़ता है। कार्यक्रम के द्वितीय वक्ता डॉ. सियाराम साहू , ने ‘ छत्तीसगढ़ी लोकगीतों का रचनात्मक संसार ‘ विषय पर व्याख्यान देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ी लोकगीत छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक आत्मा है। यहां के जनजीवन, भावनाओं ,परंपराओं, रीति- रिवाज , त्योहारों और श्रम – संस्कृति को बड़ी ही सहजता से व्यक्त करते हैं। छत्तीसगढ़ी लोकगीत केवल मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि यह सामाजिक एकता, धार्मिक आस्था और मानवीय संबंधों की डोर को मजबूत करते हैं ।इन गीतों में मातृत्व, प्रेम, भक्ति, श्रम और संघर्ष के अनेक रंग झलकते हैं। लोक का आलोक ही हमें विश्व पटल पर स्थापित करता है। हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. अम्बरीश त्रिपाठी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया ।विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अपनी मातृभाषा की जानकारी होना आवश्यक है शास्त्र और लोक संस्कृति हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। लोकसंस्कृति वेदों की शिक्षाओं का सरल और व्यावहारिक रूप है। वेद जहां शास्त्र और दर्शन की गूढ़ भाषा में है ,वही लोक ने उसी ज्ञान को गीत, कथा ,पर्व , नृत्य और रीति के रूप में सहज बना दिया है। जिसमें छत्तीसगढ़ की संस्कृति का परिदृश्य परिलक्षित होती है ।
उक्त कार्यक्रम में अर्थशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष के. पदमावती डॉ. तरुण साहू, डॉ.रजनीश उमरे , डॉ. रमणी चंद्राकर, डॉ.लता गोस्वामी,शोधार्थी अतुल केसरवानी, टेकलाल निराला, कपिल,बेलमती पटेल, निर्मला पटेल, लक्ष्मीन तथा स्नातक एवं स्नातकोत्तर के विद्यार्थी बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. ओमकुमारी देवांगन ने किया। आभार प्रदर्शन डॉ.शारदा सिंह ने किया।
