कोलकाता। पश्चिम बंगाल की प्रसिद्ध मिठाई ‘नोलेन गुड़ संदेश’ को विशेष भौगोलिक पहचान (जीआई टैग) मिल गया है। यह पहचान स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और बंगाल के पारंपरिक प्रसाद को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
‘नोलेन गुड़ संदेश’, जो ‘छेना’ और ‘नोलेन गुड़’ (खजूर के गुड़) से तैयार किया जाता है, बंगाली संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। खासकर सर्दियों के मौसम में यह मिठाई हर घर में पसंद की जाती है। दक्षिण कोलकाता के एक मिठाई निर्माता ने बताया कि यह गुड़ ठंड के मौसम में तैयार किए जाने वाले संदेश मिठाई का मुख्य घटक है, और इसके बिना पारंपरिक संदेश अधूरा रह जाता है।
नोलेन गुड़ का उपयोग एक अन्य पारंपरिक मिठाई ‘जयनगर मोआ’ में भी किया जाता है, जिसे पहले ही जीआई टैग मिल चुका है। इस बार पश्चिम बंगाल के सात उत्पादों को जीआई टैग मिला है, जिसमें कमारपुकुर का सफेद बोंड़ा, मुर्शिदाबाद का छन्नबोरा, बिष्णुपुर का मोतीचूर लड्डू, राधुनिपागल चावल और मालदा का निस्तारी रेशमी धागा शामिल हैं।
फेडरेशन ऑफ एसोसिएशन ऑफ कॉटेज एंड स्मॉल इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष एच. के. गुप्ता ने इसे स्थानीय उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में लोकप्रिय कई खाद्य उत्पाद अभी भी अपनी जीआई पहचान के इंतजार में हैं।
संस्कृति और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा
जीआई टैग मिलने से न केवल इन उत्पादों की गुणवत्ता और पहचान सुनिश्चित होगी, बल्कि इससे राज्य की पारंपरिक मिठाइयों और अन्य उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में नई पहचान मिलेगी।