
फिल्म की शुरुआत अत्याचारी राजा के ज़मीन हथियाने के लालच से होती है, जो उसे एक रहस्यमय शक्ति और जनजाति के इलाके कांतारा तक ले जाता है। यहां ऋषभ शेट्टी बर्मे के किरदार में हैं, जो कंतारा जनजाति का नेतृत्व करता है और अपने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। यह फिल्म मुख्य रूप से भूता कोला (Bhuta Kola) और दैव शक्ति की उत्पत्ति, जंगल के रक्षकों और शोषकों के बीच के संघर्ष को दर्शाती है। यह कहानी केवल अमीर बनाम गरीब के बीच का संघर्ष नहीं है, बल्कि यह दैवीय न्याय, लोककथाओं और मानव भावनाओं की एक गहरी यात्रा है, जो दिखाती है कि कैसे ज़मीन का एक टुकड़ा पीढ़ियों तक एक अभिशाप और वरदान दोनों बन जाता है।
धांसू एक्शन और शानदार VFX ने किया कमाल
- विजुअल और सिनेमैटोग्राफी: अरविंद एस कश्यप की सिनेमैटोग्राफी फिल्म को एक अद्भुत विजुअल एक्सपीरियंस देती है। जंगल, अनुष्ठान और युद्ध के दृश्य बेहद खूबसूरती से फिल्माए गए हैं, जो दर्शकों को सीधा उस प्राचीन दुनिया में खींच ले जाते हैं।
- वीएफएक्स और एक्शन: फिल्म में वीएफएक्स (VFX) का इस्तेमाल शानदार है। जानवरों से जुड़े कुछ सीन और एक्शन सीक्वेंस की कोरियोग्राफी जबरदस्त है, जो किसी भी हिस्टोरिकल वॉर ड्रामा को टक्कर देती है। खासकर, इंटरवल से पहले का जंगल में फाइट सीन और क्लाइमैक्स का महाकाव्य जैसा युद्ध (Epic War) रोंगटे खड़े कर देता है।
- संगीत और साउंड: अजनीश लोकनाथ का बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म की आत्मा है। आदिवासी मंत्र, ताल और गुलिगा दैव की चीखें हर दृश्य को एक दैवीय आयाम देती हैं
अभिनय: ऋषभ शेट्टी का करियर-डिफाइनिंग परफॉर्मेंस
- ऋषभ शेट्टी: निर्देशक और लेखक होने के बावजूद, ऋषभ शेट्टी का अभिनय इस फिल्म का स्तंभ है। शिवा के कच्चे अवतार के बाद, बर्मे का किरदार अधिक जटिल और भावनात्मक है। क्लाइमैक्स में उनका ट्रांसफॉर्मेशन (परिवर्तन) और इंटेंसिटी किसी चमत्कार से कम नहीं है। एक दृश्य में, वह बिना बोले केवल अपने भावों से जो कुछ कहते हैं, वह दर्शकों को भावुक कर देता है।
- रुक्मिणी वसंत: रुक्मिणी वसंत कनकवथी के रूप में सरप्राइज पैकेज हैं। उन्हें केवल हीरो की प्रेमिका तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि उनकी भूमिका कहानी में गहराई लाती है और क्लाइमैक्स में वह एक मजबूत किरदार बनकर उभरती हैं।
- अन्य कलाकार: जयराम और गुलशन देवैया ने भी अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।
हमारा फैसला (Final Verdict)
‘कांतारा चैप्टर 1’ की कहानी थोड़ी धीमी गति से शुरू होती है, लेकिन जैसे-जैसे यह लोककथाओं और रहस्य की परतों को खोलती है, यह दर्शकों को बांधे रखती है। फिल्म का दूसरा हाफ और क्लाइमैक्स पूरी तरह से जादू कर देता है और यह साबित करता है कि ऋषभ शेट्टी एक दूरदर्शी फिल्म निर्माता हैं। यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की जड़ों से जुड़ा एक शानदार सिनेमैटिक अनुभव है। अगर आपको पहली ‘कांतारा’ पसंद आई थी, तो यह प्रीक्वल उस अनुभव को दस गुना बढ़ा देगी। यह फिल्म निश्चित रूप से सिनेमाघरों में देखने लायक है।