
दुर्ग। शासकीय साइंस कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग में अतिथि व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें अतिथि वक्ता डॉ. सुचित्रा शर्मा ने सामाजिक अनुसंधान के संदर्भ में रिसर्च क्या है, यह कब, क्यों और कैसे करना चाहिए जैसे प्रश्नों पर विस्तार से व्याख्या की। उन्होंने बताया कि समाजशास्त्र में रिसर्च के लिए कोई बंद प्रयोगशाला नहीं होती बल्कि समाजशास्त्र के अध्ययन का विषय पूरा समाज है।

रिसर्च के माध्यम से समाज में निरंतर होने वाले परिवर्तनों को जाना जा सकता है। यह संपूर्ण प्रक्रिया उपकरणों व पद्धतियों के माध्यम से पूर्ण होती है, जिसे रिसर्च मेथोडोलॉजी कहा जाता है। डॉ. शर्मा ने अनुसंधान के विभिन्न चरणों जैसे— विषय का चयन, संबंधित साहित्य का अध्ययन, परिकल्पना निर्माण, तथ्यों का संकलन एवं विश्लेषण, प्रतिवेदन लेखन और सिद्धांतिकरण आदि पर छात्रों से गहन चर्चा की।
उन्होंने आगे बताया कि शोध की दशा में परंपरा और आधुनिकता का संगम देखा जा सकता है। वर्तमान में अनुसंधान की गुणात्मक एवं मात्रात्मक प्रवृत्तियों, साथ ही एआई एवं आईसीटी जैसी आधुनिक तकनीकों की उपयोगिता पर भी विस्तार से प्रकाश डाला। अंत में उन्होंने रिसर्च मेथोडोलॉजी में आने वाली चुनौतियों और उनके समाधान पर चर्चा की तथा भविष्य में शोध की संभावनाओं को स्पष्ट किया।
इस कार्यक्रम का आयोजन समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. एलिजाबेथ भगत के मार्गदर्शन में किया गया। संचालन समाजशास्त्र परिषद के अध्यक्ष दीपांशु नेताम ने किया एवं अतिथि वक्ता का परिचय सहायक प्राध्यापक श्रीमती आडिल ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में अतिथि सहायक अध्यापक शालिनी मेश्राम, डॉ. दीपा बाईन, डॉ. आसावरी हिरवे, निखिल देशलेहरा तथा समाजशास्त्र विभाग एवं समाजकार्य के समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
