बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि प्राथमिक विद्यालयों (कक्षा पहली से पांचवीं तक) में शिक्षकों की भर्ती में केवल डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) या समकक्ष डिप्लोमा धारक ही पात्र होंगे। बीएड धारकों को इन पदों पर आवेदन करने का अधिकार नहीं होगा।
यह महत्वपूर्ण फैसला न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की खंडपीठ ने सुनाया। यह याचिका मिलापपुर निवासी सुनील कुमार गहरे द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने वर्ष 2018 में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) द्वारा जारी अधिसूचना और वर्ष 2019 के भर्ती विज्ञापन को चुनौती दी थी, जिसमें बीएड धारकों को भी प्राथमिक स्तर पर पढ़ाने की अनुमति दी गई थी।
कोर्ट का तर्क
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि प्राथमिक स्तर के बच्चों को पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण आवश्यक है। बीएड का पाठ्यक्रम माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर बनाया गया है और यह छोटे बच्चों की जरूरतों को पूरा नहीं करता। इसलिए प्राथमिक स्तर पर केवल डीएलएड या समकक्ष प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को ही मान्यता दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट और अन्य फैसलों का हवाला
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी दलील दी गई कि सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट पहले ही ऐसे मामलों में बीएड धारकों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बाहर कर चुके हैं। इसी आधार पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी यह फैसला सुनाया।
राज्य सरकार को निर्देश
कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वर्ष 2022 की शिक्षक भर्ती में शामिल बीएड धारकों को अयोग्य घोषित किया जाए और चयन सूची को 12 हफ्तों के भीतर पुनः तैयार किया जाए।
यह फैसला प्रदेश के हजारों अभ्यर्थियों को प्रभावित करेगा और भविष्य में प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर सकारात्मक असर डालने की उम्मीद की जा रही है।


