सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा है कि वे अस्थायी तौर पर हथियारबंद संघर्ष रोकने और सरकार के साथ शांति वार्ता के लिए तैयार हैं। संगठन ने मांग की है कि जेल में बंद नेताओं को भी संवाद प्रक्रिया में शामिल होने का अवसर दिया जाए। छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पत्र की जांच शुरू कर दी है।

बस्तर 17 सितंबर 2025। नक्सल आंदोलन से प्रभावित बस्तर क्षेत्र से एक बड़ी खबर सामने आई है। वामपंथी चरमपंथी संगठन सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय कमेटी ने ऐलान किया है कि वे अस्थायी रूप से हथियार डालने और सरकार के साथ शांति वार्ता की दिशा में आगे बढ़ने को तैयार हैं। यह घोषणा संगठन के वरिष्ठ नक्सली लीडर अभय द्वारा जारी प्रेस नोट में की गई है, जो 15 अगस्त 2025 का है और हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।
प्रेस नोट में कहा गया है कि 2024 से चल रहे पुलिस-नक्सली अभियानों में दोनों पक्षों को भारी नुकसान हुआ है। इस पृष्ठभूमि में पार्टी ने निर्णय लिया है कि एक माह तक संघर्ष विराम (सीजफायर) रहेगा और इस दौरान सरकार के साथ सार्थक संवाद की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
अभय ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि माओवादी संगठन जन समस्याओं के समाधान के लिए सभी राजनीतिक दलों और सामाजिक संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि पार्टी को अपने इस निर्णय से अवगत कराना और अंदरूनी सहमति बनाना आवश्यक है, जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल बनाकर शांति वार्ता में हिस्सा लिया जाएगा।
प्रेस नोट में सरकार से मांग की गई है कि संगठन को जेल में बंद अपने कैडरों और नेताओं से विचार-विमर्श करने के लिए समय दिया जाए। अभय ने कहा कि संगठन वीडियो कॉल के माध्यम से प्रारंभिक वार्ता करने को भी तैयार है।
छत्तीसगढ़ के गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि नक्सलियों के इस पत्र की सत्यता की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि इस पर अंतिम निर्णय केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और राज्य के मुख्यमंत्री साय लेंगे।
बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि नक्सलियों के इस पर्चे और उसमें छपी तस्वीर की जांच जारी है। “जब हम पूरी तरह से स्पष्ट हो जाएंगे, उसके बाद ही इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया दी जाएगी,” उन्होंने कहा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह पहल सच्चाई पर आधारित है और सरकार सकारात्मक रुख अपनाती है, तो यह बस्तर समेत देशभर के नक्सल प्रभावित इलाकों के लिए शांति का नया अध्याय साबित हो सकती है। हालांकि सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं और यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि यह कोई रणनीतिक चाल न हो।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब बस्तर में पिछले कुछ महीनों में कई बड़ी मुठभेड़ें हुई हैं और सुरक्षा बलों ने महत्वपूर्ण नक्सली कैडरों को ढेर किया है। ऐसे में नक्सलियों का यह कदम एक अहम मोड़ माना जा रहा है। आने वाले हफ्तों में सरकार और संगठन के बीच होने वाली संभावित बातचीत पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी।