“सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: घर खरीदारों के हित में आश्रय को मौलिक अधिकार माना”

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों के हितों की सुरक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए और कहा कि आवास का अधिकार केवल संविदात्मक अधिकार नहीं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के मौलिक अधिकार का अभिन्न पहलू है।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की खंडपीठ ने NCLAT के उस फैसले को बरकरार रखते हुए यह आदेश दिया, जिसमें सट्टेबाज खरीदारों द्वारा आवासीय परियोजना के खिलाफ दायर दिवालियापन याचिकाओं को खारिज किया गया था।

पंजीकरण और भुगतान पर नई व्यवस्था

अदालत ने निर्देश दिया कि नई आवासीय परियोजना में प्रत्येक लेन-देन को तभी पंजीकृत किया जाएगा, जब खरीदार/आवंटी संपत्ति की लागत का कम से कम 20% भुगतान कर दे। यह पंजीकरण स्थानीय राजस्व प्राधिकरण के समक्ष होगा।

इसके अलावा, ऐसे अनुबंध जो मॉडल रेरा बिक्री समझौते से महत्वपूर्ण रूप से भिन्न हों, या जिनमें रिटर्न/बायबैक क्लॉज शामिल हों और आवंटी की आयु 50 वर्ष से अधिक हो, उन्हें सक्षम राजस्व प्राधिकरण के समक्ष शपथ पत्र के साथ प्रमाणित करना अनिवार्य होगा, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि खरीदार जोखिमों को समझता है।

एस्क्रो खाता और RERA की भूमिका

प्रारंभिक अवस्था की परियोजनाओं में जहां भूमि अधिग्रहण शेष है या निर्माण प्रारंभ नहीं हुआ, वहां खरीदारों से प्राप्त राशि एस्क्रो खाते में रखी जाएगी। यह राशि केवल परियोजना की प्रगति के अनुसार, RERA द्वारा अनुमोदित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) के तहत चरणों में खर्च की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने सभी RERA प्राधिकरणों को छह महीने के भीतर ऐसी SOP तैयार करने का आदेश दिया।

पुनरुद्धार कोष और घर खरीदारों की दुर्दशा

अदालत ने केंद्र सरकार को संकटग्रस्त आवासीय परियोजनाओं को बचाने के लिए एक पुनरुद्धार कोष बनाने पर विचार करने का निर्देश दिया, ताकि उन्हें परिसमापन से बचाया जा सके। जस्टिस महादेवन ने फैसले में कहा कि भारत में लाखों मध्यमवर्गीय नागरिकों की मेहनत की कमाई अधूरी परियोजनाओं में फंस गई है, जिससे वे दोहरी मार झेल रहे हैं — एक तरफ ईएमआई का भुगतान और दूसरी तरफ किराया।

अनुच्छेद 21 के तहत आश्रय का अधिकार

अदालत ने कहा, “घर केवल सिर पर छत नहीं होता; यह उम्मीदों और सपनों का प्रतीक है। अपने घर का सुरक्षित, शांतिपूर्ण और समय पर कब्ज़ा पाने का अधिकार अनुच्छेद 21 के तहत निहित आश्रय के मौलिक अधिकार का हिस्सा है। राज्य का कर्तव्य है कि वह इस अधिकार को सुरक्षित करे।”

नियामक ढांचे को मजबूत करने के निर्देश

शीर्ष अदालत ने NCLT, NCLAT और RERA में रिक्त पदों को तुरंत भरने, ई-फाइलिंग और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग को बढ़ावा देने तथा दिवालियापन मामलों को प्रोजेक्ट-विशिष्ट आधार पर हल करने का निर्देश भी दिया। अदालत ने कहा कि इन उपायों का उद्देश्य नियामक ढांचे में विश्वास बहाल करना और सट्टा दुरुपयोग को रोकना है, ताकि घर खरीदारों का “सपनों का घर” कभी दुःस्वप्न न बने।

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