शासकीय रिसाली कॉलेज में छत्तीसगढ़ सांस्कृतिक लोक मंजरी का आयोजन

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दुर्ग। छत्तीसगढ़ स्थापना रजत जयंती वर्ष के गौरवशाली अवसर पर शासकीय नवीन महाविद्यालय रिसाली में प्राचार्य डॉ.अनुपमा अस्थाना के मार्गदर्शन एवं प्रो. नूतन कुमार देवांगन के संयोजन में विकसित छत्तीसगढ़ @2047 के परिपेक्ष्य में छत्तीसगढ़ की लोक कला और संगीत पर आधारित सांस्कृतिक लोक मंजरी कार्यक्रम (नृत्य, गीत, संगीत) का आयोजन दिनांक 12.09.2025 को किया गया। इस कार्यक्रम मे अंचल के प्रसिद्ध लोक कलाकार एवं लोक वाद्ययंत्र संग्राहक श्री रिखी क्षत्रिय जी मुख्य अतिथि रहे।कार्यक्रम की शुरुआत मां शारदा और छत्तीसगढ़ महतारी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन ,पुष्प अर्पण कर राजगीत के साथ की गई।

कार्यक्रम में प्राचार्य डॉ. अनुपमा अस्थाना ने अपना उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि …..
लोक मंजरी कार्यक्रम में उपस्थित मै सभी मंचासीन अतिथियों का हृदय से स्वागत करती हूं । मैं अपने पूरे महाविद्यालय परिवार की ओर से हमारे मुख्य अतिथि श्री रिखी क्षेत्रीय का हार्दिक स्वागत करती हूं।श्री रिखी क्षेत्रीय जी छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु विश्व में प्रसिद्ध है।

कार्यक्रम मे विशिष्ट अतिथि
श्री सुरेन्द्र रजक ने कहा कि हमारा छत्तीसगढ़ निरंतर विकास कर रहा  और आज  जो  कुछ भी शेष है उसकी  प्राप्ति हम बहुत जल्द करेंगे।महाविद्यालय के जनभागीदारी समिति अध्यक्ष श्री विधि यादव जी ने कहा कि मेरा छत्तीसगढ़ धन धान्य से संपन्न है। हम सभी को निरंतर मातृभूमि की उन्नति हेतु एकजुट होकर प्रयत्न करना है। यह हम सभी की जिम्मेदारी है।

श्रीमती उमा कोसले ने कहा कि आज स्थापना के 25 वर्षों के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में उत्साहित और सुसज्जित छात्र छात्राओं को देख कर एक नवीन आशा का सृजन हो रहा कि हमारी युवा पीढ़ी हमारी सभ्यता और  संस्कृति को संभाल के रखेंगे और उसे परिपूर्ण करेंगे।प्रसिद्ध लोक कलाकार रिखी क्षेत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य क्यों बना कैसे बना इसकी जानकारी हम सभी को होनी चाहिए। आज जिस विकास को हम जी रहे है ये छत्तीसगढ़ की स्थापना के परिणाम स्वरुप संभव हुआ है।मैने छत्तीसगढ़ की स्थापना की लिए 1997 की रैली में भाग लिया था। हजारों लोगों की तपस्या का परिणाम है हमारा राज्य। आज इसको 25 वर्षों की यात्रा तय करते देख हम मोद में मग्न है। उसके उपरांत उन्होंने छत्तीसगढ़ के प्राचीन वाद्ययंत्रों तुरही, भैर, तुरलांग, अलगोजा, ख़ंजेरी, घुमरा, सीसरी, पड़की, टेंडार, आदि के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए उनसे निकलने वाले संगीत का प्रदर्शन किया। जिससे श्रोता गण अचंभित और मुग्ध हुए।
कार्यक्रम मे महाविद्यालय के छात्र – छात्राओं द्वारा छत्तीसगढ़ की कला और संस्कृति पर आधारित नृत्य और संगीत की शानदार प्रस्तुति की गई ।

कार्यक्रम का संचालन प्रो. नूतन देवांगन एवं आभार प्रदर्शन प्रो. शंभू प्रसाद के द्वारा किया गया। इस अवसर पर  प्रो. नागरत्ना गनवीर, प्रो.निवेदिता मुखर्जी,डॉ.पूजा पाण्डेय,प्रो. विनीता, प्रो. रितु श्रीवास्तव,प्रो. सतीश गोटा, प्रो. वेद प्रकाश सिंह, ,प्रो. रौशन,श्री गुलशन देवांगन, श्री संतोष कुमार, श्री सुखनंदन साहू, श्री व्यास नारायण, श्रीमती दीप मालिनी, श्री डामन लाल साहू ,श्री दीपक ,श्रीमती रंजना, श्रीमती जयश्री, समेत महाविद्यालय के समस्त अधिकारी, कर्मचारी गण एवं बड़ी संख्या में छात्र- छात्राओं की उपस्थिति रही।

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