खूनी झड़प: तलाक के केस में पहुंचे दो पुलिसकर्मियों ने एक-दूसरे पर किया हमला, थाने में भी मचाया हंगामा

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बिलासपुर, 13 सितंबर 2025 छत्तीसगढ़ की न्यायिक राजधानी बिलासपुर में शनिवार को एक ऐसा नजारा देखने को मिला, जो पुलिस विभाग के लिए कलंक बन गया। कुटुंब न्यायालय (फैमिली कोर्ट) परिसर में तलाक के मामले की सुनवाई के दौरान दो वर्दीधारी पुलिसकर्मियों के बीच जमकर मारपीट हो गई। एक तरफ प्रधान आरक्षक अरुण कमलवंशी, दूसरी तरफ दूसरी वाहिनी बटालियन के सिपाही संजय जोशी। दोनों के बीच पुरानी दुश्मनी चरम पर पहुंच गई और अदालत के बाहर ही दोनों ने एक-दूसरे पर लात-घूंसे चलाए। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें दोनों पक्षों का हंगामा साफ नजर आ रहा है।

यह घटना न केवल पुलिस विभाग की छवि को धूमिल करने वाली है, बल्कि एक लंबे चले आ रहे पारिवारिक विवाद का परिणाम भी है। सूत्रों के अनुसार, यह झड़प संजय जोशी की पत्नी सरोज जोशी के साथ अरुण कमलवंशी के कथित अवैध संबंधों से उपजी है। संजय ने इसी आधार पर अपनी पत्नी के खिलाफ तलाक की याचिका दायर की थी, जो कुटुंब न्यायालय में विचाराधीन है। लेकिन शनिवार को सुनवाई के बाद अदालत परिसर से बाहर निकलते समय दोनों आरोपी आमने-सामने आ गए, और बातचीत से शुरू हुई तकरार जल्द ही हिंसक झड़प में बदल गई।

घटना का पूरा ब्यौरा: अदालत से थाने तक हंगामा

13 सितंबर 2025 को कुटुंब न्यायालय में संजय जोशी के तलाक मामले की सुनवाई निर्धारित थी। संजय, जो सकरी बटालियन में पदस्थ हैं, अपनी पत्नी सरोज के साथ अदालत पहुंचे। वहीं, प्रधान आरक्षक अरुण कमलवंशी, जो सिविल लाइन्स पुलिस स्टेशन में पूर्व रीडर रह चुके हैं, फरियादी के तौर पर मौजूद थे। सुनवाई समाप्त होने के बाद जब दोनों पक्ष अदालत परिसर से बाहर निकले, तो अचानक अरुण और संजय की नजरें टकरा गईं। पहले तो दोनों ने एक-दूसरे पर पुराने आरोप-प्रत्यारोप लगाए, लेकिन जल्द ही मामला हाथापाई पर आ गया।

चश्मदीदों के मुताबिक, संजय ने अरुण पर अपनी पत्नी के साथ संबंध बनाने का आरोप लगाते हुए धक्का दिया, जिसके जवाब में अरुण ने भी संजय को मुक्का मारा। दोनों के बीच जमकर लात-घूंसे चले, और आसपास के लोग उन्हें अलग करने के लिए दौड़े। इस दौरान संजय की पत्नी सरोज और परिवार के अन्य सदस्य भी मौके पर पहुंच गए, जिससे हंगामा और बढ़ गया। अदालत के सुरक्षाकर्मियों ने किसी तरह दोनों को अलग किया, लेकिन विवाद यहीं थमने वाला नहीं था।

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