122 वर्षों बाद बना दुर्लभ योग : पितृपक्ष की पूर्णिमा पर लगेगा पूर्ण चंद्र ग्रहण

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रायपुर, 06 सितंबर 2025। साल 2025 का पहला पूर्ण चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को लगने जा रहा है। ज्योतिषीय दृष्टि से यह ग्रहण बेहद खास माना जा रहा है, क्योंकि यह शनि देव की राशि और नक्षत्र में घटित होगा। खगोलविदों और ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ऐसा दुर्लभ योग 122 वर्षों बाद बन रहा है।

खास बात यह है कि यह चंद्र ग्रहण शनि के वक्री गोचर के दौरान पितृपक्ष की पूर्णिमा श्राद्ध के दिन लगेगा। ग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से शुरू होकर रात 9:57 बजे तक चलेगा। ग्रहण मध्यरात्रि 1:27 बजे समाप्त होगा।

ग्रहण के समय कौन-सा पाठ करें?
ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि ग्रहण के समय किया गया जप, तप और दान कई गुना फलदायक होता है। इस अवसर पर श्रद्धालु अपनी आस्था के अनुसार हनुमान चालीसा, शनि चालीसा, विष्णु सहस्रनाम या शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं।

हनुमान चालीसा : भय, बाधा और ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से मुक्ति के लिए।

शनि चालीसा : शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित लोगों के लिए विशेष लाभकारी।

विष्णु सहस्रनाम : सुख-शांति और जीवन की बाधाओं को दूर करने के लिए।

शिव चालीसा : भगवान शिव की कृपा और मानसिक शांति के लिए।

ग्रहण के दौरान अचूक उपाय
ग्रहण काल में ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करना शुभ माना जाता है। ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान और दान करना, भोजन और पानी में तुलसी पत्र डालना तथा काली गाय के घी का दीपक जलाना विशेष फलदायी होता है।

आध्यात्मिक उन्नति का अवसर
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि यह चंद्र ग्रहण सिर्फ खगोलीय घटना नहीं, बल्कि अध्यात्म और साधना के लिए एक विशेष अवसर है। श्रद्धालु यदि इस काल में भक्ति और जप-तप में मन लगाते हैं तो उन्हें मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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