
थानों में कबाड़ बन रही जब्त गाड़ियां
दुर्ग जिले के अलग-अलग थानों में चोरी, दुर्घटना और तस्करी के मामलों में जब्त की गई करीब 40 हजार गाड़ियां बरसों से पड़ी हुई हैं। इनमें मोटरसाइकिल, ऑटो, कार जैसी तमाम वाहन शामिल हैं, जिनकी संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। लंबे समय से गैर-प्रयोग में पड़ी हजारों गाड़ियां अब पुलिस और आम नागरिकों के लिए समस्या बन गई हैं।

जगह की तंगी और व्यवस्था पर असर
थानों में बड़े पैमाने पर जब्त गाड़ियों का अंबार लगने से जगह की समस्या खड़ी हो गई है। इन गाड़ियों के कारण न केवल थाने परिसर के अंदरूनी हिस्से भर गए हैं, बल्कि साफ-सफाई, सुरक्षा और सर्विसिंग भी प्रभावित हो रही है। सतत बारिश और मौसम की मार से ये वाहन कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं, जिससे उनका दोबारा इस्तेमाल लगभग असंभव है।
नीलामी के लिए प्रशासन की तैयारी
दुर्ग एसपी अपूर्वा अस्थाना के अनुसार, जिले के थानों में खड़ी कुल 1700 गाड़ियों की सूची तैयार की गई है जिनकी नीलामी प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी। पुलिस ने वाहन मालिकों को गाड़ी छुड़ाने का एक आखिरी मौका देते हुए साफ निर्देश जारी किए हैं—यदि एक महीने के भीतर दावेदारी नहीं जताई गई, तो वाहनों की नीलामी होगी। पूरी प्रक्रिया शासन की विधिवत स्वीकृति और न्यायालय के आदेश के बाद आगे बढ़ेगी।
गाड़ियों के मालिक क्यों नहीं आते
वाहन छुड़ाने के लिए अदालती कागजी कार्रवाई और प्रक्रिया की जटिलता के चलते कई गाड़ी मालिक थानों के चक्कर काटने से बचते हैं। कई मामले वर्षों तक निपटारे की राह देखते हैं, जिससे गाड़ियों की हालत और खराब हो जाती है। पुलिस की नीलामी की व्यवस्था से कानून व्यवस्था और स्थान दोनों का बोझ हल्का किया जाएगा।
व्यवस्था में सुधार की उम्मीद
पिछले कई वर्षों से थानों में जर्जर गाड़ियों की समस्या बनी हुई है। पुलिस महकमा उम्मीद कर रहा है कि नीलामी की यह नई पहल प्रशासन, पुलिस और जनता सभी के लिए राहत लेकर आएगी। वहीं आम लोगों और वाहन संचालकों से अपील की गई है कि समय पर अपनी गाड़ी का दावा करें, वरना नीलामी के बाद गाड़ियों को वापस नहीं लिया जा सकता।