कोरबा में भू-विस्थापित महिलाओं का अनोखा प्रदर्शन: ब्लाउज और पेटीकोट में उतरकर जताया विरोध

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Jul 20, 2025

कोरबा। कोरबा जिले के SECL कुसमुंडा खदान से प्रभावित भू-विस्थापित परिवारों की महिलाओं ने नौकरी की मांग को लेकर एक अनोखा और उग्र प्रदर्शन किया। शुक्रवार को कुसमुंडा के CGM दफ्तर में 25 से 30 महिलाओं ने धरना दिया और ब्लाउज-पेटीकोट में प्रदर्शन कर अपना आक्रोश जाहिर किया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसने प्रशासन और एसईसीएल प्रबंधन में हड़कंप मचा दिया है।

नौकरी की मांग को लेकर धरना

SECL कुसमुंडा खदान से प्रभावित गांवों की महिलाएं लंबे समय से नौकरी की मांग कर रही हैं। शुक्रवार को करीब 25-30 महिलाएं सीजीएम दफ्तर पहुंचीं और नौकरी न मिलने के विरोध में धरना शुरू कर दिया।

प्रदर्शन के दौरान कुछ महिलाओं ने अपनी साड़ियां उतारकर ब्लाउज और पेटीकोट में हंगामा किया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। महिलाओं का कहना है कि उनकी जमीन का अधिग्रहण वर्षों पहले खदान के लिए किया गया, लेकिन अब तक उन्हें नौकरी नहीं दी गई।

भू-विस्थापितों का आरोप: प्रबंधन कर रहा गुमराह

भू-विस्थापित रोजगार एकता महिला किसान कुसमुंडा की अध्यक्ष ने बताया कि असली भू-विस्थापितों की जगह फर्जी लोगों को नौकरी दी जा रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रबंधन उनकी मांगों को बार-बार अनसुना कर रहा है और उन्हें दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर किया जा रहा है। महिलाओं का कहना है कि कई बार आवेदन देने के बावजूद कोई ठोस जवाब नहीं मिला। इसके अलावा, प्रबंधन ने 25 लोगों को जेल भी भेज दिया था, जिससे उनका आक्रोश और बढ़ गया है।

अनिश्चितकालीन आंदोलन की चेतावनी

महिलाओं ने स्पष्ट किया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे अपना आंदोलन जारी रखेंगी। उन्होंने एसईसीएल कुसमुंडा के मुख्य महाप्रबंधक को पत्र लिखकर अपनी मांगें दोहराई हैं। प्रदर्शनकारी महिलाओं ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है और खदान में उत्पादन ठप करने की धमकी भी दी है। उनका कहना है कि प्रबंधन उन्हें नौकरी देने के नाम पर लगातार गुमराह कर रहा है।

150 परिवार प्रभावित, 8 गांवों की समस्या

यह मुद्दा कोरबा जिले के 8 गांवों—सोनपुरी, बालिपडनिया, जटराज, अमगांव, बरकुटा, गेवरा बस्ती, खोडरी और भिलाई बाजार के करीब 150 परिवारों को प्रभावित कर रहा है। इन परिवारों ने कई बार नौकरी के लिए दस्तावेज जमा किए, लेकिन उनकी मांगों का कोई समाधान नहीं निकला। भू-विस्थापितों का कहना है कि उनकी जमीनें खदान के लिए अधिग्रहित की गईं, लेकिन बदले में उन्हें रोजगार का वादा पूरा नहीं किया गया।

वायरल वीडियो ने खड़ा किया सवाल

महिलाओं के ब्लाउज और पेटीकोट में प्रदर्शन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं। यह प्रदर्शन न केवल भू-विस्थापितों की निराशा को दर्शाता है, बल्कि एसईसीएल प्रबंधन की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करता है। इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और कंपनी प्रबंधन को त्वरित कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया है।

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