“9 महीने बाद सही-सलामत लौटी लापता किशोरी: पुलिस ने की थी किडनैपिंग और कत्ल की जांच, कब्र तक खुदवा डाली थी!”

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गरियाबंद, 16 मई 2025: गरियाबंद जिले के चलना पदर गांव में उस समय सनसनी फैल गई जब अगस्त 2024 से लापता नाबालिग लड़की अचानक अपने घर लौट आई। उसकी वापसी ने न केवल गांववासियों को हैरत में डाल दिया, बल्कि पुलिस की अब तक की गई कार्रवाई पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

लड़की के लापता होने के बाद पुलिस ने अपहरण और हत्या की आशंका जताते हुए गहन जांच शुरू की थी। कॉल डिटेल के आधार पर पड़ोस के 40 वर्षीय लालधर गौड़ को हिरासत में लिया गया। पूछताछ में गोलमोल जवाब मिलने पर पुलिस ने हत्या की आशंका जताई और लालधर की निशानदेही पर गांव के श्मशान घाट की एक कब्र खुदवाई। कार्यपालिक दंडाधिकारी की उपस्थिति में कब्र से निकले कंकाल की फॉरेंसिक जांच में पता चला कि वह लगभग 10 साल पुराना था।

इस कार्रवाई से आदिवासी समाज में भारी रोष उत्पन्न हुआ। 27 मार्च को आदिवासी विकास परिषद की नेत्री लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में सैकड़ों लोगों ने देवभोग थाने का घेराव कर पुलिस पर शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना के आरोप लगाए। समाज का आरोप था कि पूछताछ के दौरान लालधर की पुलिस पिटाई से एक पैर टूट गया।

इसी बीच बीते मंगलवार की रात लड़की के अचानक लौट आने से पूरा मामला नया मोड़ ले चुका है। पूछताछ में युवती ने बताया कि वह बालोद जिले में अपने एक रिश्तेदार के घर रह रही थी। पुलिस ने औपचारिक बयान के बाद उसे परिजनों को सौंप दिया।

देवभोग थाना प्रभारी फैजुल होदा शाह ने बताया कि जब यह मामला दर्ज हुआ था, तब युवती नाबालिग थी, लेकिन अब वह बालिग हो चुकी है। इसलिए उसका बयान भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 183 के अंतर्गत न्यायालय में दर्ज कराया जाएगा। इसी बयान के आधार पर यह तय होगा कि वास्तव में अपहरण हुआ था या वह अपनी मर्जी से घर से गई थी।

फिलहाल इस घटना ने पुलिस की कार्यप्रणाली और जांच के तरीके पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, वहीं ग्रामीण और सामाजिक संगठनों में असंतोष की लहर है।

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