प्राचार्य पदोन्नति आदेश 16 अप्रैल तक जारी नहीं होंगे: हाईकोर्ट का आदेश
रायपुर, 26 मार्च 2025 — छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल शामिल हैं, ने राज्य सरकार को 16 अप्रैल तक प्राचार्य पदोन्नति के आदेश जारी करने से रोक दिया है। यह फैसला प्राचार्य पदोन्नति के लिए बी.एड. डिग्री की अनिवार्यता को लेकर चल रही सुनवाई के दौरान आया।
याचिकाकर्ता अखिलेश कुमार त्रिपाठी की कानूनी टीम ने बी.एड. की अनिवार्यता को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि इससे योग्य उम्मीदवारों की संख्या सीमित हो सकती है और अनुभवी शिक्षकों के साथ अन्याय हो सकता है। वहीं, अतिरिक्त महाधिवक्ता यशवंत ठाकुर ने राज्य का पक्ष रखते हुए बी.एड. योग्यता को आवश्यक बताया।
कोर्ट ने सभी पक्षों को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है और अगली सुनवाई 16 अप्रैल को निर्धारित की है। इस बीच, राज्य सरकार को प्राचार्य पद के लिए किसी भी प्रकार की पदोन्नति सूची जारी करने से रोका गया है।**..
यह स्थगन आदेश शिक्षकों के बीच चिंता का कारण बन गया है। प्राचार्य पदोन्नति फोरम के प्रतिनिधि अनिल शुक्ला, राकेश शर्मा, श्याम कुमार वर्मा और रामाकांत झा ने पदोन्नति प्रक्रिया की धीमी गति पर असंतोष जताया है। उन्होंने कहा कि जनवरी से अप्रैल के बीच सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षक इस देरी के कारण अपने हक से वंचित हो सकते हैं।
मामले का मुख्य मुद्दा प्राचार्य पदोन्नति में बी.एड. डिग्री की भूमिका पर केंद्रित है। कुछ लोग इसे अनिवार्य बनाने से अनुभवी शिक्षकों के बाहर होने का खतरा मानते हैं, जबकि अन्य इसे प्राचार्य पद के लिए एक मानकीकृत योग्यता के रूप में देखते हैं।
16 अप्रैल की सुनवाई का इंतजार करते हुए शैक्षिक समुदाय उम्मीद कर रहा है कि फैसला अनुभव और शैक्षणिक योग्यता के बीच संतुलन बनाएगा।**..