
रिसाली। शासकीय नवीन महाविद्यालय रिसाली में जनजातीय समाज की समृद्ध विरासत, संघर्षों, परंपराओं एवं उनके अमूल्य सामाजिक-ऐतिहासिक योगदान पर आधारित विषय “गौरवशाली अतीत—ऐतिहासिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक योगदान” पर एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर को समाज और नई पीढ़ी तक पहुँचाना रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत शहीद गेंदलाल सिंह एवं शहीद वीर नारायण सिंह के तैलचित्र पर माल्यार्पण के साथ हुई। इसके पश्चात महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. अनुपमा अस्थाना ने स्वागत भाषण देते हुए सभी अतिथियों एवं छात्र-छात्राओं का हार्दिक अभिनंदन किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय की परंपराओं, संघर्षों और योगदान को समझना शिक्षा जगत की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।

मुख्य वक्ता डॉ. सतीश देशपांडे ने जनजातीय समाज की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सांस्कृतिक विविधता एवं प्रकृति आधारित जीवन पद्धति पर विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने बिरसा मुंडा और शहीद वीर नारायण सिंह जैसे जननायकों की गाथाओं का उल्लेख करते हुए भारतीय इतिहास में जनजातीय समुदाय के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित किया।

बनवासी विकास समिति की संयोजक श्रीमती सीमा वझलवार ने जनजातीय समाज में निहित आध्यात्मिक चेतना, प्रकृति से गहरे संबंध और सामुदायिक एकजुटता पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के दौरान जनजातीय कला एवं संस्कृति से जुड़ी आकर्षक प्रस्तुतियाँ भी हुईं। छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत जनजातीय नृत्य ने उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं वीरांगना रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित प्रहसन ने सभी को प्रेरित किया और जनजातीय वीरांगनाओं के साहस एवं बलिदान को जीवंत कर दिया।

इस कार्यक्रम में श्री अनिल दीक्षित, श्री अनिल पांडे, श्रीमती अलका पांडे, श्रीमती मीना मुने, श्रीमती मोहनी बाउस्कर, श्री विधि यादव (जनभागीदारी अध्यक्ष) सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण, कर्मचारीगण एवं बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. सतीश कुमार गोटा रहे तथा संचालन डॉ. ममता ने किया।



