कागज़ों में विकास की धूम, जमीनी हकीकत में सूखता बस स्टैंड!

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महापौर अलका वाघमार के “सुशासन” के दावे पर सवाल — जल प्रभारी लीना दिनेश देवांगन के विभाग की लापरवाही उजागर

दुर्ग।
शहर में सुशासन और विकास की बड़ी-बड़ी बातें करने वाला दुर्ग नगर निगम इन दिनों अपने ही दावों की पोल खोलता नजर आ रहा है। जिला मुख्यालय के प्रमुख स्थान नया बस स्टैंड में पिछले तीन दिनों से अधिक समय से सुलभ शौचालय में पानी की व्यवस्था ठप है। स्थिति यह है कि शौचालय संचालकों को नगर निगम के टैंकर पर निर्भर रहना पड़ रहा है, जबकि रोजाना यहां हजारों यात्री पहुंचते हैं।

महापौर श्रीमती अलका वाघमार जहां प्रेस विज्ञप्तियों में “सुशासन” और “विकास” की बातें करती नजर आती हैं, वहीं बस स्टैंड का सुलभ शौचालय जमीनी सच्चाई बयां कर रहा है।
महिलाओं और यात्रियों को बुनियादी जरूरत — पानी — के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है, जबकि निगम प्रशासन अपनी उपलब्धियों के जश्न में मग्न है।

वर्तमान में जल विभाग की जिम्मेदारी श्रीमती लीना दिनेश देवांगन के पास है, लेकिन बस स्टैंड जैसी संवेदनशील जगह पर जल संकट यह साबित कर रहा है कि कागज़ों में तो राजस्व और विकास की धूम है, पर हकीकत में जनता बेहाल है।

नगर निगम “हमने बनाया, अब सवारेंगे” के नारे के साथ शहर की तस्वीर सुधारने की बात कर रहा है,
लेकिन बस स्टैंड का सूखा नल और टैंकर पर निर्भर शौचालय यह स्पष्ट कर रहे हैं कि
👉 विकास बस कागज़ों में है, जमीनी स्तर पर बस सूखा और लापरवाही है।


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