रूपेश समेत 210 नक्सलियों के आत्मसमर्पण से माओवादियों में मचा भूचाल — केंद्रीय कमेटी ने बताया गद्दार, रूपेश ने दिया पलटवार

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छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ में सीसी मेंबर रूपेश सहित 210 नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बाद नक्सल संगठन में भारी उथल-पुथल मच गई है। केंद्रीय कमेटी प्रवक्ता अभय ने समर्पित नक्सलियों को ‘गद्दार’ और ‘धोखेबाज’ बताया, जबकि रूपेश ने पलटवार करते हुए कहा कि सशस्त्र संघर्ष छोड़ना पार्टी का सामूहिक निर्णय था। इस घटनाक्रम के बाद नक्सल संगठन में विभाजन और शांति वार्ता को लेकर अंदरूनी मतभेद गहराए हैं।

जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ क्षेत्र में हाल ही में हुए अब तक के सबसे बड़े नक्सली आत्मसमर्पण ने पूरे संगठन को झकझोर कर रख दिया है। केंद्रीय कमेटी (CC) सदस्य रूपेश के नेतृत्व में 210 नक्सलियों ने डीजीपी समेत वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया था। इस आत्मसमर्पण के बाद से नक्सल संगठन में गहरी फूट और आंतरिक कलह खुलकर सामने आने लगी है।

आत्मसमर्पण के कुछ ही दिनों बाद नक्सल संगठन की केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता अभय ने प्रेस नोट जारी कर रूपेश और उसके साथियों को “संशोधनवादी, गद्दार और धोखेबाज” करार दिया। अभय ने कहा कि ये सभी संगठन के विचारधारा से भटक चुके हैं और दुश्मनों के हाथों बिक गए हैं।

हालांकि, रूपेश ने इस बयान पर तीखा जवाब देते हुए कहा कि “हम गद्दार नहीं हैं, बल्कि पार्टी के ही निर्णय के अनुसार सशस्त्र संघर्ष छोड़ने का फैसला किया गया था।” रूपेश के अनुसार, पोलित ब्यूरो सदस्य बसवराजू की मुठभेड़ में मौत से पहले माड़ क्षेत्र में सशस्त्र संघर्ष समाप्त कर जनता के बीच काम करने का निर्णय लिया गया था।

संगठन में दो फाड़
जानकारी के अनुसार, आत्मसमर्पण और शांति वार्ता के मुद्दे पर नक्सल संगठन दो हिस्सों में बंट गया है। एक गुट सरकार से बातचीत और सीजफायर का समर्थन कर रहा है, जबकि दूसरा गुट इसे संगठन की विचारधारा के खिलाफ बता रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म करने के ऐलान के बाद से नक्सल संगठन की केंद्रीय और राज्य समितियों में हलचल तेज हो गई है। पिछले एक महीने में माओवादी संगठन ने आठ पत्र जारी किए हैं — जिनमें कुछ ने शांति वार्ता के पक्ष में और कुछ ने विरोध में बयान दिया है।

हाल ही में पोलित ब्यूरो सदस्य भूपति उर्फ सोनू ने केंद्र और राज्य सरकारों को शांति वार्ता और युद्ध विराम (Ceasefire) का प्रस्ताव भेजा था। माड़ डिविजन समेत कई डिविजनल प्रवक्ताओं ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया, जो विरोध करने वालों से अधिक थे।

लेकिन नारायणपुर जिले के माड़ क्षेत्र में भूपति के मुठभेड़ में मारे जाने से दो दिन पहले, केंद्रीय कमेटी के प्रवक्ता विकल्प और अभय ने संयुक्त पत्र जारी कर सोनू के प्रस्ताव को उनकी “निजी राय” बताया। उन्होंने सोनू को संगठन की सभी जिम्मेदारियों से बर्खास्त करने की घोषणा की थी और कहा कि “अगर सोनू आत्मसमर्पण करना चाहता है तो करे, लेकिन संगठन के हथियार दुश्मनों को सौंपने का अधिकार उसे नहीं है।”

संगठन में जारी टकराव
22 सितंबर को भूपति द्वारा जारी शांति वार्ता प्रस्ताव के बाद से नक्सल संगठन के भीतर मतभेद खुलकर सामने आ चुके हैं। एक ओर रूपेश और उनके साथियों जैसे नक्सली अब हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटना चाहते हैं, वहीं दूसरी ओर केंद्रीय नेतृत्व अब भी सशस्त्र संघर्ष को जारी रखने पर अड़ा हुआ है।विश्लेषकों के मुताबिक, यह घटनाक्रम इस बात का संकेत है कि लंबे समय से अंदरूनी मतभेदों और नेतृत्व संकट से जूझ रहे नक्सली संगठन में अब विभाजन स्पष्ट हो चुका है।

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