
संक्षिप्त विवरण (Short Description): जगदलपुर के संयुक्त शिक्षा संचालक कार्यालय में एक शिक्षक को जींस पहनने के कारण अपमानित कर बाहर निकाल दिया गया। इस घटना ने शिक्षकों में भारी रोष पैदा कर दिया है। शिक्षक संगठनों ने इसे तानाशाही रवैया बताते हुए कार्रवाई की मांग की है।
जगदलपुर 14 अक्टूबर 2025। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग मुख्यालय जगदलपुर में शिक्षा विभाग के संयुक्त संचालक कार्यालय में घटित एक घटना ने पूरे शिक्षक समुदाय को झकझोर कर रख दिया है। माध्यमिक शाला मचली के शिक्षक श्री प्रकाश नेताम को सिर्फ इसलिए कार्यालय से बाहर निकाल दिया गया क्योंकि उन्होंने जींस पैंट पहन रखी थी। यह मामला अब गरमा गया है और शिक्षक संगठनों ने संयुक्त संचालक के इस व्यवहार की कड़ी निंदा की है।
जानकारी के अनुसार, शिक्षक प्रकाश नेताम अपने स्पष्टीकरण देने के लिए संयुक्त संचालक (शिक्षा) कार्यालय पहुँचे थे। उन्होंने शालीन सफेद शर्ट और सादी काली जींस पैंट पहन रखी थी। उनके कपड़े साफ-सुथरे और सामान्य थे। लेकिन संयुक्त संचालक ने शिक्षक के पहनावे पर आपत्ति जताते हुए उन्हें यह कहते हुए कार्यालय से बाहर निकाल दिया — “मेरे ऑफिस में जींस पैंट नहीं चलता।”
इस पर शिक्षक ने जब पूछा कि विभाग में ऐसा कोई ड्रेस कोड लागू है क्या, तो अधिकारी ने उन्हें डांटते हुए बाहर जाने को कह दिया।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद शिक्षकों में गहरा असंतोष है। सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष मनीष मिश्रा ने कहा कि “यह कृत्य न केवल निंदनीय है बल्कि शिक्षकों की गरिमा पर सीधा प्रहार है। शिक्षक ने पूरी शालीनता के साथ सामान्य कपड़े पहने थे। शिक्षा विभाग में कोई निर्धारित ड्रेस कोड नहीं है, ऐसे में किसी अधिकारी द्वारा अपनी निजी सोच को नियम बनाकर थोपना तानाशाही से कम नहीं।”
उन्होंने कहा कि यदि कोई शिक्षक फटी-पुरानी या अशोभनीय फैशन वाली जींस पहनता तो बात समझ में आती, लेकिन एक सादे और मर्यादित पहनावे में आए शिक्षक का इस तरह अपमान करना शिक्षा व्यवस्था की आत्मा को ठेस पहुँचाने जैसा है। मिश्रा ने मांग की कि सरकार को इस पूरे मामले की जांच कर अधिकारी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
इस घटना ने यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या अब सरकारी कार्यालयों में योग्यता और कार्यनिष्ठा से ज़्यादा महत्व बाहरी पहनावे का होगा? क्या किसी अफसर को यह अधिकार है कि वह अपने व्यक्तिगत मत के आधार पर किसी कर्मचारी या शिक्षक को नीचा दिखाए?
शिक्षक समुदाय का कहना है कि यह अनुशासन नहीं बल्कि तानाशाही है। जो शिक्षक समाज को मर्यादा, शालीनता और संस्कार सिखाते हैं, उनके साथ इस तरह का व्यवहार पूरे समाज के लिए गलत संदेश देता है।अब यह मामला धीरे-धीरे राज्यभर में चर्चा का विषय बन गया है। शिक्षक संगठन इसे “शिक्षक सम्मान बनाम अफसरशाही” की लड़ाई मान रहे हैं और चेतावनी दी है कि यदि आरोपी अधिकारी पर कार्रवाई नहीं की गई, तो आंदोलन किया जाएगा