दुर्ग। छत्तीसगढ़ राज्य के 25 वर्ष की स्वर्णिम यात्रा हम सभी के लिये प्रेरणादायी है। अब हम सभी इसे पूर्ण विकसित राज्य बनाने हेतु हर संभव योगदान करना चाहिये। ये उद्गार दुर्ग जिला पंचायत, अध्यक्ष श्रीमती सरस्वती बंजारे ने आज व्यक्त किये। श्रीमती बंजारे शासकीय विश्वनाथ तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग में छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना के रजत जयंती समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बड़ी संख्या में उपस्थित छात्र-छात्राओं एवं प्राध्यापकों को संबोधित कर रही थी। श्रीमती बंजारे ने कहा सपना ऐसे होना चाहिये कि
जिससे हमें नींद न आये आज भारत विश्व की चौथी बड़ी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, श्रीमती बंजारे ने उपस्थित विद्यार्थियों से आव्हान किया कि संघर्ष करने वालो की कभी हार नहीं होती। यह जानकारी देते हुए कार्यक्रम आयोजन समिति के संयोजक डॉ. ए.के. खान, डॉ. अभिनेष सुराना तथा सह-संयोजक डॉ. अम्बरीश त्रिपाठी ने संयुक्त रूप से बताया कि आज महाविद्यालय के राधाकृष्णन सभागार में आयोजित छत्तीसगढ़ @ 2060 तथा छत्तीसगढ़ @ 2047 विषय पर दो सारगर्भित व्याख्यान आयोजित हुये।
प्रथम व्याख्यान में छत्तीसगढ़ @ 2050 पर पावर प्वाइंट प्रेजेटेंशन के माध्यम से प्रोफेसर डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने बताया कि आगामी 25 वर्षों में हमारा प्रदेश विकसित प्रदेशों की श्रेणी में आ जायेगा। इस हेतु अधोसंरचना में वृध्दि सामाजिक समानता तथा शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय उन्नति की आवश्यकता है।
दूसरे व्याख्यान में छत्तीसगढ़ @2047 में सहायक प्राध्यापक डॉ. कुसुमांजलि देशमुख ने बहुत ही अच्छे ढंग से 1947 में भारत की स्वतंत्रता के समय से 2047 तक की संभावित यात्रा का प्रस्तुतिकरण किया।
इस अवसर पर उपस्थित जिला भाजपा अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र कौशिक ने छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी बाजपेयी को देते हुए अनौपचारिक रूप से कहा कि अब छत्तीसगढ़ को 2050 तक विकसित प्रदेश बनाने की जिम्मेदारी हम सभी की है।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित महाविद्यालय जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष श्री शिवेन्द्र सिंह परिहार ने महाविद्यालय द्वारा छत्तीसगढ़ की स्थापना के रजत जयंती पर आयोजित कार्यकमों की सराहना करते हुए अनौपचारिक रूप से कहा कि विद्यार्थियों को सदैव चिंतनशील रहना चाहिये तथा समाज के हित में विभिन्न मुद्दों पर सोचना चाहिये।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ प्रदेश ने पिछले 25 वर्षों में अनेक उतार चढ़ाव देखें है। हमारे प्रदेश ने हर क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। यह हम सभी का दायित्व है. कि अपने छत्तीसगढ़ प्रदेश को आगे बढ़ाने में हम
सभी यथा संभव योगदान करें। पुस्तक मेला के आयोजन पर प्रकाश डालते हुए डॉ. अजय सिंह ने कहा कि पुस्तक विद्यार्थियों की सच्ची मित्र होती है। अच्छी पुस्तकों के अध्ययन से विद्यार्थियों की दशा एवं दिशा दोनों में परिवर्तन संभव है। डॉ. सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ की रजत जयंती समय की माप नहीं है, बल्कि यह हमारे प्रदेश की संघर्ष शीलता, संस्कृति एवं आत्म गौरव का प्रतीक है। यह कार्यक्रम का संचालन डॉ. अम्बरीश त्रिपाठी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. अभिनेष सुराना ने किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के ग्रंथालय में दो दिवसीय पुस्तक मेला भी आयोजित किया गया। प्रातः 11.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक चलने वाले इस पुस्तक मेले में समूचे देश के लगभग 10 से अधिक प्रकाशक हिस्सा ले रहे है। आज पुस्तक मेले के दौरान विद्यार्थियों एवं प्राध्यापकों ने पुस्तकों का कय किया। ग्रंथपाल डॉ. विनोद अहिरवार ने इसे अपने तरह का अनूठा पुस्तक मेला निरूपित करते हुए कहा कि महाविद्यालय में प्रथम बार बड़े-बड़े प्रकाशक एक साथ एकत्रित हुये है। इसका सीधा लाभ विद्यार्थियों को मिलेगा।
सरस्वती वंदना प्रस्तुत करने वाली छात्राओं में कु छवि परमार, लोकेश्वरी तथा जयंती शामिल थी। कार्यकम के आरंभ में अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ भेंटकर किया गया। आगामी 12 सितम्बर को जॉब फेयर के साथ-साथ महाविद्यालय में भूतपूर्व विद्यार्थियों का सम्मेलन एवं परिचर्चा राधाकृष्णन हॉल में दोपहर 12.00 बजे से आयोजित होगी।